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    नकली 'दरोगा जी' पहुंचे असली 'हवालात'

    By Edited By:
    Updated: Sat, 03 Aug 2013 11:45 AM (IST)

    बदन पर दो स्टार लगी पुलिस की वर्दी और हाथ में वायरलेस सेट। कड़क आवाज एवं पुलिसिया अंदाज देख बड़ी आसानी से कोई भी उसको सब इंस्पेक्टर समझने की गलती कर बैठता था। लोगों की इसी गलतफहमी का फायदा उठाकर उन्हें चूना लगाकर फरार होने वाले नकली 'दरोगा जी' को उसके एक गुर्गे के साथ क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है।

    नई दिल्ली। बदन पर दो स्टार लगी पुलिस की वर्दी और हाथ में वायरलेस सेट। कड़क आवाज एवं पुलिसिया अंदाज देख बड़ी आसानी से कोई भी उसको सब इंस्पेक्टर समझने की गलती कर बैठता था। लोगों की इसी गलतफहमी का फायदा उठाकर उन्हें चूना लगाकर फरार होने वाले नकली 'दरोगा जी' को उसके एक गुर्गे के साथ क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है।

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    आरोपियों की पहचान मंगल तथा मनीष के रूप में हुई है। पुलिस की वर्दी में गिरफ्तार हुआ मंगल चोरी की ऑल्टो कार में सवार था। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रविंद्र यादव के अनुसार मंगल वर्ष 2008 में होमगार्ड में भर्ती हुआ था, लेकिन कुछ महीने बाद ही उसके आचरण के चलते सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। होमगार्ड में रहने के दौरान मंगल पुलिसिया कार्यप्रणाली और व्यवहार से भली भांति परिचित हो गया था।

    नौकरी से हटने के बाद उसने लोगों को ठगना शुरू कर दिया। इस दौरान 2012 में धोखाधड़ी के आरोप में मुखर्जी नगर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। तिहाड़ जेल में उसकी मुलाकात पूर्वी दिल्ली के सक्रिय बदमाश मनीष से हुई। 17 जुलाई को जेल से जमानत पर छूटने के बाद मंगल और मनीष ने लोगों को ठगना शुरू कर दिया।

    इसके लिए मंगल ने किंग्जवे कैंप से पुलिस की वर्दी तथा दिल्ली पुलिस लिखी कुछ फाइलें भी खरीद लीं। मंगल लोनी का निवासी है, जबकि मनीष पूर्वी दिल्ली के रानी गार्डन में रहता है। दोनों के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। दोनों को अतिरिक्त उपायुक्त भीष्म सिंह की टीम ने आनंद विहार इलाके से पकड़ा।

    गिरफ्तारी के दौरान मंगल ने खुद को एसआइ अभिषेक शर्मा बताया था। उनके पास से बरामद ऑल्टो कार गाजियाबाद के इंदिरापुरम से चुराई गई थी।

    जान पहचान बढ़ाकर देता था धोखा

    क्राइम ब्रांच अधिकारियों के अनुसार मंगल पहले खुद को इलाके का डिवीजन इंचार्ज दर्शाता था। अपने शिकार की तलाश में वह किसी इलाके में कई दिनों तक घूमता रहता था। इस दौरान वह दुकानदारों, रेहड़ी पटरी वालों तथा सिलेंडर वालों से जान पहचान करता था। उन्हें अपनी पोस्टिंग के दौरान अपराधियों को पकड़ने के झूठे किस्से सुनाता। इसके बाद वह लोगों को ठगी का शिकार बनाता था।

    पकड़ा सामान सस्ते में बेचने के नाम पर ठगी

    गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एक व्यवसायी से मंगल ने कहा कि उसने कुछ सिलेंडर पकड़े थे, जिनमें से आधे उसने थाने में जमा करवा दिए। बाकी सिलेंडर वह बेचना चाहता है। व्यवसायी से दो हजार रुपये प्रति सिलेंडर में बात तय हुई। रुपये जेब में रखकर मंगल व्यवसायी को अपने कमरे पर आने को कह चंपत हो गया। इस तरह दिल्ली में उसने कई कबाड़ियों और सिलेंडर विक्रेताओं से धोखाधड़ी की। कई दुकानदारों व रेहड़ी वालों से अचानक आई मजबूरी बताकर वह उधार लेकर फरार हो जाता था।

    एक दिन में दस से बीस हजार की कमाई

    क्राइम ब्रांच अधिकारियों के अनुसार मंगल ने बताया कि वह ज्यादा लालच नहीं करता था। एक दिन में एक ही शिकार फंसाता था। उससे वह दस से बीस हजार रुपये लेकर तक वसूल लेता था।

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