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    बेहतर बनाने की है जरूरत

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    Updated: Thu, 27 Mar 2014 11:25 AM (IST)

    दैनिक जागरण के राष्ट्रव्यापी अभियान जन जागरण के तहत बुधवार को आइटीओ कार्यालय में संसद का भविष्य और सीमाएं विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस विषय पर विशेषज्ञों ने कहा कि संसद भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, लेकिन इस प्रणाली को और बेहतर बनाने की जरूरत है। आपसी सहमति व एक-दूसरे पर

    दैनिक जागरण के राष्ट्रव्यापी अभियान जन जागरण के तहत बुधवार को आइटीओ कार्यालय में संसद का भविष्य और सीमाएं विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस विषय पर विशेषज्ञों ने कहा कि संसद भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, लेकिन इस प्रणाली को और बेहतर बनाने की जरूरत है। आपसी सहमति व एक-दूसरे पर विश्वास से ही इसे बेहतर बनाया जा सकता है।

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    प्रो. महेन्द्र प्रसाद सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र विभाग, दिल्ली विवि)

    - देश की संसदीय व्यवस्था की कार्यप्रणाली में लगातार गिरावट होना चिंता का विषय है।

    - इसके निराकरण हर स्तर पर प्रयास हो, जिसमें पार्टी सिस्टम से चुनावी रिफार्म तक शामिल है।

    - भारत में बहुदलीय प्रणाली की व्यवस्था होने का प्रमुख कारण यहां की विविधता है।

    - विश्व में दो दलीय व्यवस्था हैं, लेकिन विविधता के कारण अब वहां भी परिवर्तन हो रहा है।

    - राजनीतिक चिंतक मॉरिस जोंस ने कहा है कि भारत के सांसद का घर धर्मशाला होता है।

    - संसद में वाद-विवाद का स्तर गिरा है। पहले परिचर्चा शोधपरक होती थी।

    - संसदीय व्यवस्था के बारे में सोचा जाए क्योंकि एक ओर संविधानवाद तो दूसरी ओर गांधीवाद है।

    - संसद में यदि जनता की आस्था कायम करनी है तो इसमें जरूरी सुधार करना जरूरी है।

    - राजनीतिक दलों को संसद की परंपराओं व संविधान का माखौल उड़ाने का अधिकार नहीं है।

    - भारतीय संविधान में चुनाव आयोग को स्थान दिया गया है, ऐसा बहुत कम देशों में किया गया है।

    सुदर्शन शर्मा, पूर्व, सअिचव, लोकसभा

    - हमारी सामाजिक व्यवस्था में बहुदलीय व्यवस्था बढ़ेगी ही। पार्टियों की संख्या बढ़ने वाली ही है।

    - बहुदलीय व्यवस्था का अधिक प्रभाव पीएम और स्पीकर पर पड़ता है। इनके लिए यह चुनौती है।

    - बहुदलीय व्यवस्था के तहत चलने वाली सरकार पर्दे के पीछे से चलती है।

    - आज अधिकतर चुनाव में धनबल-बाहुबल चल रहा है। लोग पैसे के लिए संसद में जाना चाहते हैं।

    - संसद की कार्यवाही का टीवी पर सीधा प्रसारण सही नहीं है। इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

    - प्रजातंत्र स्थापित सरकार के लिए है। पार्टियों के गतिरोध से ऐसा होने में बाधा आई है।

    - स्वच्छ लोकतंत्र के लिए दल-बदल कानून जरूरी है। इससे जोड़-तोड़ की राजनीति में कमी आई है।

    - कुछ खामियों के बावजूद हमारी संसदीय प्रणाली में कई विशेषताएं हैं।

    - आज यह चर्चा हो रही है कि संसद में प्रतिनिधियों का व्यवहार कैसा हो तो यह सोचने वाली बात है।

    - मर्यादाओं का ध्यान रखना जरूरी है। कुछ बदलाव की दरकार है, बेहतर भविष्य की उम्मीद है।

    डॉ. राजेश झा, प्राध्यापक, राजनीतिशास्त्र विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय

    - देश में प्रारंभ से ही संसद भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

    - संसद में बदलते समय के साथ प्रतिनिधित्व भी बदला है। इसमें सभी वर्ग के लोग आ रहे हैं।

    - संसदीय प्रणाली में आर्थिक संपन्नता केवल कुछ जातियों तक ही सीमित नहीं रह गई है।

    - देश के संसदीय प्रणाली में बदलाव के लिए दूसरे संगठनों को भी जोड़ने की जरूरत है।

    - लोग भले ही सड़कों पर उतर रहे हों लेकिन आज भी उनका विश्वास संसदीय प्रणाली में है।

    - संसदीय प्रणाली को लेकर मीडिया व सिविल सोसाइटी में बहुत ही कम काम हो रहा है।

    - चुने हुए प्रतिनिधि की संसद में उपस्थिति इसलिए घटी है क्योंकि इससे वोट बैंक नहीं बढ़ता।

    - यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम संसद के कायरें में सबको जोड़ सकें।

    - पार्टियों की संख्या बढ़ रही है लेकिन इससे संसद के अंदर असर पड़ रहा है।

    - संसद ने देश के नागरिकों के अधिकारों के लिए हमेशा अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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