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    यूपी-बिहार में नक्सली बढ़ा रहे अपनी ताकत

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    Updated: Thu, 11 Sep 2014 02:44 PM (IST)

    कोन थाना क्षेत्र की पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त कांबिंग अभियान में सोनभद्र के बिहार बार्डर से मिले मोर्टार ने यूपी पुलिस की नींद उड़ा दी है। आइजी जोन प्रकाश डी ने इस मामले में एसपी सोनभद्र और सीआरपीएफ कमांडेंट को तीन से चार दिन में इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं, साथ ही इं

    वाराणसी [राकेश पाण्डेय]। कोन थाना क्षेत्र की पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त कांबिंग अभियान में सोनभद्र के बिहार बार्डर से मिले मोर्टार ने यूपी पुलिस की नींद उड़ा दी है। आइजी जोन प्रकाश डी ने इस मामले में एसपी सोनभद्र और सीआरपीएफ कमांडेंट को तीन से चार दिन में इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं, साथ ही इंटेलीजेंस ब्यूरो को भी इस संबंध में जानकारी दे दी गई है। मोर्टार की बरामदगी ने सेना या सीआरपीएफ के जखीरे में सेंध लगने की आशंका को भी हवा दे दी है।

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    सूत्रों का कहना है कि बिहार के रोहतास जिले के च्यूटिया थाना क्षेत्र का डुमरखोहा का जंगल नक्सलियों और दस्युओं के लिए महफूज स्थल रहा है। मोर्टार जिस जगह से बरामद हुआ है वहां एक गुफा भी है जिसमें आराम से दस से बारह लोग पनाह ले सकते हैं। एकदम पास में ही पिकनिक स्थल भी है जहां इलाके के लोग या बेहद सुरक्षा के बीच कभी-कभार लोग पिकनिक के लिए जाते हैं।

    पुराने किस्म का मोर्टार [एचई]

    डुमरखोहा के जंगल में मिला मोर्टार दरअसल पुराने माडल का विस्फोटक बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सीआरपीएफ या सेना द्वारा इसका प्रयोग किया जाता रहा है। इसे [एचई] हाई एक्सप्लोसिव भी कहा जाता है जिसे खास आपरेशन में सीआरपीएफ 51 के जरिए उपयोग किया जाता रहा है। अब गुफा में बरामद हुए मोर्टार को लेकर दो आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं। पहला तो यह कि हो न हो पहले किसी आपरेशन के दौरान सीआरपीएफ ने इसका प्रयोग किया हो और उसमें विस्फोट न हो पाया हो, या फिर नक्सलियों के जखीरे में अब ऐसे मोर्टार शामिल हो चुके हैं जो बड़ी चिंता की बात है।

    सुदर्शन बढ़ा रहा गैंग

    वर्ष 2012 में हार्डकोर नक्सली सब जोनल कमांडर मुन्ना विश्वकर्मा की गिरफ्तारी के बाद सोन विंध्य गंगा एरिया कमेटी में कमान संभालने वाला इस क्षेत्र में कोई रह नहीं गया था। सूत्रों के मुताबिक करीब छह माह बाद गढ़वा पूर्वी के जोनल कमांडर दिलीप बैठा को यूपी-बिहार बार्डर क्षेत्र में खत्म हो चले संगठन को खड़ा करने की जिम्मेदारी दी गई। चार-पांच माह तक काम देखने के बाद दिलीप ने सफलता न मिलती देख पल्ला झाड़ दिया। इसके बाद औरंगाबाद के सब जोनल कमांडर सुदर्शन उर्फ एनुल मिया को सोन विंध्य गंगा एरिया कमेटी की ओर से चंदौली, सोनभद्र और मीरजापुर का प्रभार सौंपा गया। उसे मुन्ना विश्वकर्मा की तरह संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। अब सुदर्शन जेल से छूटे नक्सलियों को प्रलोभन देकर संगठन से जोडऩे की कवायद में जुट गया है। बताया जाता है कि सुदर्शन के गिरोह में इस समय करीब 40 लोग हैं। उसकी चहलकदमी औरंगाबाद से लेकर रोहतास में सोनभद्र के बार्डर तक होने की बात आती रहती है। संभवत: इन्हीं गतिविधियों के मद्देनजर हाल ही में नक्सल फ्रंट की हुई समीक्षा बैठक में यूपी पुलिस को जेल से छूटे नक्सलियों की गतिविधि पर कड़ी नजर रखने को कहा गया है।

    एसपी-कमांडेंट को सौंपी जांच

    कांबिंग के दौरान डुमरखोहा में मिले मोर्टार के बाबत विस्तार पूर्वक जांच का जिम्मा एसपी सोनभद्र और सीआरपीएफ के कमांडेंट को सौंपा गया है। उन्हें अपनी रिपोर्ट तीन-चार दिन में देने को कहा गया है। साथ ही बार्डर क्षेत्र में कांबिंग तेज करने के निर्देश दिए हैं। खुफिया तंत्र को भी सजग रहने को कहा गया है।

    -प्रकाश डी, आइजी जोन-वाराणसी।

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