राजपक्षे के विरोध में नहीं आएंगी जयललिता
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पड़ोसी मुल्कों ने तो नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने के न्योते को सिर-माथे पर लिया है, लेकिन घरेलू सियासत इस मौके का मजा जरूर कुछ किरकिरा कर रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाने पर राजग की सहयोगी शिवसेना के बल तो ढीले पड़ गए हैं। शरीफ के सामने शपथ ग्रहण न करने की अपनी योजना से पार्टी फिलहाल पीछे हट गई है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पड़ोसी मुल्कों ने तो नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने के न्योते को सिर-माथे पर लिया है, लेकिन घरेलू सियासत इस मौके का मजा जरूर कुछ किरकिरा कर रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाने पर राजग की सहयोगी शिवसेना के बल तो ढीले पड़ गए हैं। शरीफ के सामने शपथ ग्रहण न करने की अपनी योजना से पार्टी फिलहाल पीछे हट गई है। हालांकि, श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को बुलाने के खिलाफ लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर लड़ने वाले राजग के सहयोगी दलों के साथ-साथ तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता भी मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करेंगी।
पाकिस्तान और श्रीलंका समेत सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित कर मोदी ने पड़ोसियों का दिल जीत लिया है। कूटनीतिक जानकार भी उनकी खूब प्रशंसा कर रहे हैं। मगर घरेलू सियासत से बंधे क्षेत्रीय दल इस मौके पर अपना प्रतीकात्मक प्रदर्शन करने से नहीं चूक रहे। इसी सिलसिले में महिंदा राजपक्षे को लेकर भाजपा के सहयोगी एमडीएम के वाइको नई दिल्ली में सोमवार को प्रदर्शन का ऐलान कर चुके हैं।
इसी तरह शरीफ को बुलाने पर शिवसेना ने पहले कड़े तेवर दिखाते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सामने शपथ लेने से मना करने का फैसला भी कर लिया था। मगर सूत्रों के मुताबिक, भाजपा की तरफ से सख्त तेवर दिखाने और समझाए जाने के बाद अब शिवसेना के बल ढीले पड़ गए हैं। शिवसेना प्रमुख ऊद्धव ठाकरे की अगुआई में सोमवार को पार्टी कोटे के सांसद राष्ट्रपति भवन में मंत्रिपद की शपथ लेंगे।
दूसरी ओर, श्रीलंका में तमिलों के अत्याचार के मुद्दे पर महिंदा राजपक्षे के विरोध में तमिलनाडु के सियासी दलों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई है। राजग के साथ मिलकर चुनाव लड़े तमिलनाडु के आधा दर्जन दलों ने शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आने का फैसला किया है। इसी क्रम में अन्नाद्रमुक सुप्रीमो और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता भी राजपक्षे को आमंत्रित करने के विरोध स्वरूप शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आएंगी। जबकि जयललिता और मोदी मुख्यमंत्री के रूप में एक-दूसरे के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत कर चुके हैं।
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