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    मोदी की मेरठ रैली से तय होगा यूपी का सियासी समीकरण

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    Updated: Tue, 28 Jan 2014 11:31 AM (IST)

    पश्चिम उत्तर प्रदेश में खुद को ताकतवर मानने वाली भाजपा के दमखम की परख दो फरवरी को मेरठ की विजय शंखनाद रैली में होगी। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बने माहौल में नरेंद्र मोदी की इस क्षेत्र में होने वाली पहली रैली पर सभी की निगाहें हैं। रैली से भाजपा अपनी क्षमता का आंकेगी। साथ ही विपक्ष भी रणनीति को नई धार दे

    लखनऊ [अवनीश त्यागी]। पश्चिम उत्तर प्रदेश में खुद को ताकतवर मानने वाली भाजपा के दमखम की परख दो फरवरी को मेरठ की विजय शंखनाद रैली में होगी। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बने माहौल में नरेंद्र मोदी की इस क्षेत्र में होने वाली पहली रैली पर सभी की निगाहें हैं। रैली से भाजपा अपनी क्षमता को आंकेगी। साथ ही विपक्ष भी रणनीति को नई धार देगा।

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    सूबे में लगातार छह रिकार्ड तोड़ रैलियों के बाद भाजपा पश्चिमी उप्र में भी अपनी ताकत का अहसास कराने की जुगत में है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी का दावा है कि सातवीं विजय शंखनाद पश्चिम में नए आयाम बनाएगी। मेरठ रैली प्रदेश की सियासत में नए राह तय करेगी। रैली में 14 प्रशासनिक एवं 19 संगठनात्मक जिलों से भागीदारी होगी, जिनमें 14 संसदीय व 71 विधानसभा क्षेत्रों के साथ चार नगर निगम क्षेत्र की सहभागिता रहेगी।

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    गत विधानसभा एवं निकाय चुनाव में भाजपा की स्थिति पश्चिम उप्र में सूबे के अन्य इलाकों से कहीं बेहतर रही। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद धुव्रीकरण को सियासी तौर पर अपने लिए मुफीद मान रहे भाजपाइयों का दावा है कि मोदी की रैली से माहौल बेहतर होगा। प्रदेश महामंत्री स्वतंत्रदेव सिंह का कहना है कि रैली को केवल दंगों की प्रतिक्रिया के रूप में ही नहीं देखा जाना चाहिए। सपा के खिलाफ किसानों, गरीबों और पिछड़ों में जबरदस्त आक्रोश है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई उम्मीदें दिखने के कारण ही आम आदमी का जुड़ाव दिनोंदिन बढ़ रहा है।

    दलित-मुस्लिम गठजोड़ भारी

    पश्चिम उप्र में बसपा का दलित मुस्लिम गठजोड़ भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बनता रहा है। गत लोकसभा चुनाव में इस गठजोड़ के चलते ही बसपा 14 में से नौ सीटों पर मुख्य मुकाबले में रही। बसपा के पांच में से तीन मुस्लिम प्रत्याशी विजयी रहे। सपा का मुस्लिम कार्ड नहीं चल पाया। चुनाव में 7 मुसलमान नेताओं को टिकट दिया था परन्तु एक भी नहीं जीत पाया। इसके विपरित कांग्रेस का एक मुस्लिम प्रत्याशी जीतने मे कामयाब रहा। इस चुनाव में भी दलित-मुस्लिम गठजोड़ बना रहा तो पश्चिम उप्र में भाजपा की राह आसान न होगी।

    पश्चिम के संसदीय क्षेत्र

    सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, नगीना, मेरठ, रामपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, संभल, अमरोहा व बागपत।

    वर्ष 2009 की सियासी तस्वीर

    नाम प्रथम स्थान द्वितीय

    भाजपा 2 4

    बसपा 5 4

    सपा X X

    रालोद X 2

    कांग्रेस 1 2

    नोट: भाजपा और रालोद ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था।

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