सीटों का गणित तय करेगा नरेंद्र मोदी का भविष्य
गुजरात विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस की किस्मत ईवीएम में बंद कर दी है। 1
नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस की किस्मत ईवीएम में बंद कर दी है। 182 सीटों वाले इस राज्य में 20 तारीख को फैसला हो जाएगा कि यहां नरेंद्र मोदी सत्ता की हैट्रिक लगा पाते हैं या फिर कांग्रेस और जीपीपी उनके सपने को चकनाचूर कर देगी।
हालांकि तमाम सर्वेक्षणों में मोदी को आगे बताया जा रहा है लेकिन यदि केशुभाई की गुजरात परिवर्तन पार्टी ने भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा दी तो मामला उलटा भी पड़ सकता है। अब 20 तारीख को इसका तो पता चल ही जाएगा। 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 35 फीसद वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को तीन फीसद कम यानि 32 फीसद मत मिले थे।
इस बार दो चरणों में हुए चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुए हैं। ऐसी मिथक है कि ज्यादा मतदान सत्ता पक्ष के खिलाफ जाता है, लेकिन बिहार और पंजाब में रिकॉर्ड मतदान इस मिथक को तोड़ने के ताजा उदाहरण हैं। 1995 से लेकर अब तक 42 राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 18 बार ज्यादा मतदान होने पर सत्ता पक्ष को फायदा मिला है जबकि 26 बार विपक्ष सत्ता पर काबिज हुआ है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि दोनों चरणों में 70 फीसद से ज्यादा मतदान हुए हैं और इसमें सबसे ज्यादा युवा वोटरों की भागीदारी है। वोटिंग में 18 से 40 वर्ष के 40 फीसद मतदाताओं ने भाग लिया है जो यह दर्शाता है कि ये जिधर भी गए होंगे, मामला एकतरफा हो जाएगा।
समीक्षक यह बता रहे हैं विकास के मुद्दे पर युवाओं का झुकाव नरेंद्र मोदी की तरफ रहा है। इन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मोदी ने चुनाव से पहले विवेकानंद युवा यात्रा भी निकाली थी। कहा जा रहा है कि इसी यात्रा से मोदी युवाओं में जोश भरने में सफल रहे और उन्होंने मोदी के पक्ष में जमकर वोटिंग की है।
20 दिसंबर को 182 सीटों का चुनाव परिणाम आने के बाद मोदी को जितनी सीटें मिलेंगी उसी आधार पर उनकी लोकप्रियता और प्रधानमंत्री पद की दावेदारी तय हो पाएगी। आइए जानते हैं सीटों के नंबर किस तरह से मोदी का फ्यूचर तय करेंगे:
एक से 92 सीटें : संन्यास आश्रम
यदि मोदी इस आंकड़े के आसपास होते हैं तो या तो कांग्रेस सरकार बनाएगी या फिर केशुभाई भाजपा समर्थन इस आधार पर करेंगे कि मोदी मुख्यमंत्री न हों। वह सत्ता से बाहर तो होंगे ही साथ ही उनकी दिल्ली के लिए उड़ान भी रास्ते में ही क्रैश हो जाएगी। विपक्ष में रहते हुए छुपे दुश्मन मोदी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं। यदि सरकारी मशीनरी मोदी के पास नहीं रही तो दंगा और फर्जी एनकाउंटर का भूत उन्हें हमेशा डराता रहेगा। हालांकि, ऐसा होने की उम्मीद काफी कम है।
93 से 100 सीटें : घायल और कमजोर
इस आंकड़े को छूने पर मोदी अपने आप को घायल और कमजोर महसूस करेंगे। 90 के आसपास का आंकड़ा काफी खतरनाक माना जाता है। इस परिस्थिति में वह अपने विरोधियों की तरफ हाथ बढ़ाएंगे। भाजपा में कई लोग ऐसे हैं जो मोदी को इस परिस्थति में देखना चाहते हैं ताकि उनका महत्व बढ़े। ऐसे परिणाम से असंतुष्ट तत्व मजबूत होंगे और वे केशुभाई और शंकर सिंह वाघेला से मिलकर भाजपा से मोदी को दरकिनार करने की कोशिश करेंगे। इस तरह की बॉर्डरलाइन विक्ट्री से मोदी के धैर्य की परीक्षा होगी।
101 से 110 सीटें : चलो दिल्ली
यह मोदी के लिए आरामदायक जीत की स्थिति होगी, लेकिन इसके बावजूद विरोधी पहले की तरह ही सक्रिय रहेंगे। मोदी मुख्यमंत्री होंगे और पहले पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करेंगे। कुछ समय बाद 2014 के आम चुनाव में अपनी बड़ी भूमिका निभाने के लिए दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
115 से ज्यादा सीटें : स्पष्ट दावेदार
115 से ज्यादा सीटें लाने के बाद मोदी अपने आलोचकों को चुप होने को विवश कर देंगे। गुजरात में वह शासन जारी रखेंगे और संसदीय चुनाव नजदीक आने समय राजग में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश करेंगे। इस बीच वह इस बात का प्रयास करेंगे कि अरुण जेटली या उनके जैसे कोई नेता नितिन गडकरी के स्थान पर पार्टी की बागडोर संभाले और उनकी उम्मीदवारों के चयन में महती भूमिका हो।
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