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    मोदी के कारण बदल सकते हैं शिवसेना-भाजपा समीकरण

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    Updated: Mon, 10 Jun 2013 08:19 PM (IST)

    मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। भारतीय जनता पार्टी में नरेंद्र मोदी का उभार जनतादल [यू] ही नहीं शिवसेना के साथ भी भाजपा के समीकरण को बदल सकता है। इससे भाजपा-शिवसेना की 25 साल पुरानी दोस्ती भी खतरे में पड़ सकती है।

    मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। भारतीय जनता पार्टी में नरेंद्र मोदी का उभार जनतादल [यू] ही नहीं शिवसेना के साथ भी भाजपा के समीकरण को बदल सकता है। इससे भाजपा-शिवसेना की 25 साल पुरानी दोस्ती भी खतरे में पड़ सकती है।

    भाजपा में नरेंद्र मोदी की प्रखर हिंदुत्ववादी नेता के रूप में उभरना शिवसेना को कभी पसंद नहीं आया। हिंदू हृदय सम्राट के रूप में शिवसेना अपने संस्थापक बाल ठाकरे की छवि का कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं चाहती। मोदी से शिवसेना की चिढ़ का दूसरा कारण राज ठाकरे और मोदी की दोस्ती है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे अक्सर नरेंद्र मोदी की तारीफ करते देखे जाते हैं। वह 10 दिन गुजरात में रहकर मोदी की कार्यप्रणाली भी देख आए हैं। जबकि राज के कारण महाराष्ट्र में शिवसेना को करारा राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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    ठाकरे की इस पारिवारिक लड़ाई का राजनीतिक नुकसान भाजपा को भी उठाना पड़ता है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा यह नुकसान उठा चुकी है। भविष्य में इस नुकसान से बचा जा सके, इसके लिए भाजपा नेता अक्सर उद्धव-राज को एक साथ लाने का प्रयास करते दिखाई देते हैं। लेकिन शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं दिखती।

    पिछले कुछ समय से भाजपा नेताओं का राज ठाकरे के साथ मेलजोल बढ़ता दिखाई दे रहा है। यह महाराष्ट्र के बदलते राजनीतिक समीकरणों का संकेत है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शिवसेना 171 सीटों पर लड़कर हमेशा बड़े भाई की भूमिका निभाती आई है। जबकि 117 सीटों पर लड़कर भी भाजपा की जीत प्रतिशत हमेशा शिवसेना से ज्यादा रहा है। ताज्जुब नहीं कि मुख्यमंत्री का दावा करने वाली भाजपा निकट भविष्य में शिवसेना का दामन छोड़ मोदी के दोस्त राज ठाकरे का हाथ थाम ले। ऐसी स्थिति में वह बड़े भाई की भूमिका में होगी एवं राज ठाकरे के साथ गठबंधन करके स्वयं अधिक सीटों पर लड़कर और अधिक सीटें जीत सकती है। गौरतलब है कि शिवसेना रिपब्लिकन पार्टी [आठवले] को पहले ही अपने साथ ले चुकी है। अपने कोटे से कुछ सीटें आठवले को देकर वह उनके दलित वोट बैंक का पूरा फायदा लेना चाहती है। इसलिए शिवसेना-रिपब्लिकन के साथ रहकर भाजपा का मुख्यमंत्री पद का दावा फीका पड़ सकता है।

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