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    भावुक मोदी से रूबरू हुआ भारत

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    Updated: Wed, 21 May 2014 03:48 AM (IST)

    एक मजबूत नेता, सख्त प्रशासक और निर्णायक नेतृत्व..। भारत के 15वें प्रधानमंत्री बनने जा रहे नरेंद्र मोदी के साथ ऐसे विशेषण तो अक्सर लगते हैं। लेकिन, आम चुनावों में जीत का नया इतिहास रचने वाले मोदी जब पहली बार संसद पहुंचे तो उनकी शख्सियत का भावुक पहलू भी पूरी दुनिया ने देखा। प्रधानमंत्री बनने जा रहा यह नेता संसद की दहलीज पर कभी माथा टेकता तो कभी नम आंखों और रुंधे गले से अपनी पार्टी और पार्टी के पितृपुरुषों को धन्यवाद देता नजर आया।

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। एक मजबूत नेता, सख्त प्रशासक और निर्णायक नेतृत्व..। भारत के 15वें प्रधानमंत्री बनने जा रहे नरेंद्र मोदी के साथ ऐसे विशेषण तो अक्सर लगते हैं। लेकिन, आम चुनावों में जीत का नया इतिहास रचने वाले मोदी जब पहली बार संसद पहुंचे तो उनकी शख्सियत का भावुक पहलू भी पूरी दुनिया ने देखा। प्रधानमंत्री बनने जा रहा यह नेता संसद की दहलीज पर कभी माथा टेकता तो कभी नम आंखों और रुंधे गले से अपनी पार्टी और पार्टी के पितृपुरुषों को धन्यवाद देता नजर आया।

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    फूलों से सजे संसद के केंद्रीय कक्ष की गैलरी के सामने लगे टेबल पर सिर्फ तीन लोगों के लिए कुर्सी थी। बीच में राजनाथ और अगल-बगल मोदी और आडवाणी। सामने फ्लोटर में तैरते कमल के फूल। ऐसे में उस वक्त माहौल थोड़ा भावनात्मक हो गया जब मोदी की उम्मीदवारी पर आशंका और नाराजगी जताते रहे आडवाणी ने पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत में नरेंद्र मोदी के योगदान के लिए 'कृपा' शब्द का प्रयोग किया। इसकी पीड़ा मोदी की आंखे नम कर गई।

    गला कुछ ऐसे रुंधा कि संसद के केंद्रीय कक्ष में चल रही भाजपा संसदीय दल की बैठक में कुछ देर सन्नाटा पसरा रहा। चश्मे के पीछे मोदी की आंखों से छलके आंसू कैमरों में भी कैद हो गए। कुछ क्षण अपना सिर झुकाए खुद को संयत करने के बाद मोदी इतना ही कहा कि मैं भारत माता और मां समान पार्टी का बेटा हूं। बेटा कभी मां पर कृपा नहीं कर सकता। वह केवल सम्मान के साथ मां की सेवा कर सकता है।

    संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने सबसे पहले अगर किसी का नाम लिया तो वह थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी। जनमत और बहुमत के सहारे प्रधानमंत्री बनने जा रहे मोदी ने जज्बाती होते हुए कहा कि अगर अटल जी का स्वास्थ्य अच्छा होता और वह भी यहां होते तो सोने पर सुहागा होता। महत्वपूर्ण है कि संसदीय दल का नेता चुने जाने के लिए हुई बैठक में अगर अटल बिहारी वाजपेयी की कमी को किसी ने रेखांकित किया तो वह भी मोदी ही थे। वैसे बैठक में करीब आधा दर्जन से अधिक नेताओं के भाषण हुए।

    देश की 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में विजय पताका फहराने के बाद पहली बार मोदी संसद के आंगन पहुंचने पर ही भावुक थे। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर निर्धारित गाड़ियों के काफिले में मोदी 11:55 बजे संसद भवन पहुंचे। गाड़ी से उतरते ही अचानक मोदी झुक गए। उनके सुरक्षाकर्मी भी अवाक थे, जब संसद भवन के मुख्य प्रवेश द्वार की पहली सीढ़ी चढ़ने से पहले मोदी ने बाकायदा माथा टेका। संसद को लोकतंत्र के मंदिर की उपमा तो अक्सर सियासी भाषणों में दी जाती है, लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए नामित नेता ने अपने संसदीय जीवन की शुरुआत इस अंदाज में शायद ही कभी की हो। खुद मोदी के शब्दों में मेरे जीवन में यह संयोग रहा है कि विधानसभा भवन के अंदर दाखिल हुआ तो मुख्यमंत्री बनने के बाद और पहली बार संसद में आया हूं तो प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए।

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