एक सुर में बोले मोदी व चंद्रबाबू
राजग के साथ फिर से हाथ मिलाने को तैयार दिख रहे आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू बुधवार को नरेंद्र मोदी के ही सुर में बोलते दिखे। देश भर से जुटे युवाओं व छात्रों के सम्मेलन में दोनों नेताओं ने मंच साझा किया और राजनीति में युवा वर्ग की भागीदारी पर मंथन किया। नायडू ने संप्रग सरकार को अ
नई दिल्ली [जासं]। राजग के साथ फिर से हाथ मिलाने को तैयार दिख रहे आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू बुधवार को नरेंद्र मोदी के ही सुर में बोलते दिखे। देश भर से जुटे युवाओं व छात्रों के सम्मेलन में दोनों नेताओं ने मंच साझा किया और राजनीति में युवा वर्ग की भागीदारी पर मंथन किया। नायडू ने संप्रग सरकार को असफल बताते हुए वाजपेयी के शासनकाल की उपलब्धियां गिनाई और मोदी की तारीफ की।
राजनीति व चुनाव में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनके नजरिए से देश के लिए महत्वपूर्ण 14 विषयों पर चर्चा करने को दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें आइआइटी, आइआइएम, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश के 200 कॉलेजों के हजारों विद्यार्थी शामिल हुए। मोदी ने कहा कि जैसे समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों से तत्कालीन समस्याओं के समाधान की कोशिश हुई थी। उसी तरह देश भर के लाखों विद्यार्थियों ने आधुनिक तरीके से मंथन कर 14 गंभीर विषय देश के सामने रखे हैं। यह पहल साबित करती है कि देश के युवा जागरूक व ऊर्जावान हैं। इन्हीं युवाओं पर महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के सपनों को साकार करने का दायित्व है। चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी भी गुजरात के थे और मोदी भी वहीं के हैं। मोदी ने गुजरात में सराहनीय विकास किया है।
तेदेपा प्रमुख ने राजग के शासनकाल की तुलना संप्रग सरकार से करते हुए कहा कि देश फिर से 1991 वाली स्थिति में पहुंच रहा है। देश में न निवेश हो रहा है और न युवाओं को नौकरी मिल रही है। सरकार सिर्फ मनरेगा और भोजन गारंटी योजना के नाम पर लोकलुभावन नारे लगा रही है। दागियों को संसद पहुंचने से रोकने के मामले में सरकार ड्रामा कर रही है। इस मौके पर भाजपा से निलंबित नेता राम जेठमलानी भी मौजूद रहे। उनके अलावा वरिष्ठ नेता अरुण जेटली, भाजपा प्रवक्ता सीतारमण सहित अन्य नेताओं ने भी युवाओं को संबोधित किया।
मनमोहन को हो गया है हार का अहसास
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अपील ने पार्टी का उत्साह और बढ़ा दिया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने इसे मनमोहन का डर करार देते हुए कहा कि उन्हें अपनी और कांग्रेस की हार का अहसास हो गया है। जेटली ने आगाह किया कि इस बार जो भी कांग्रेस के साथ जाएगा, वह डूबेगा।
पार्टी में शामिल हुए नए युवाओं को संबोधित करते हुए जेटली ने कांग्रेस में परिवारवाद पर हमला किया और कहा कि वहां परिवार का एक व्यक्ति पूरी सरकार पर हावी है। वंशवाद पर ही वहां नेतृत्व तय होता है। दूसरी ओर भाजपा में सच्चा लोकतंत्र है। सजायाफ्ता सांसदों की सदस्यता बचाने के लिए अध्यादेश लाया गया। भाजपा ने इसका विरोध किया। राष्ट्रपति का रुख भांपकर राहुल ने उसका श्रेय लूटने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि देश को अब एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो सही दिशा दे सके। प्रधानमंत्री वही हो सकता है, जो देश के साथ साथ अपनी पार्टी का भी निर्विवाद नेता हो। भाजपा ने अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार तय कर लिया है। इस बार के चुनाव में न सिर्फ कांग्रेस के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर है बल्कि नेतृत्व पर भी जनमत होगा। ऐसे में भाजपा की सरकार बनना तय है।
जेटली ने कुछ क्षेत्रीय दलों पर भी हमला किया और कहा कि उन दलों में भी कमान एक परिवार के अंदर ही सिमट कर रह गई है। ये ऐसे दल हैं जहां नेतृत्व जन्म के आधार पर मिलता है।
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