आजम और रघुराज को दायें-बायें चाहते हैं मुलायम
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। मिजाज में तब्दीली आयी नहीं बल्कि मजबूरी के तहत लायी गयी। सपा प्रमुख मुलायम सिंह के कहने पर आजम खां, रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' से मिलने गए और अब दावतनामे के जवाब में रघुराज को मोहम्मद अली जौहर मेडिकल युनिवर्सिटी के शिलान्यास कार्यक्रम में रामपुर जाना है। बात बनती है तो मुजफ्फरनगर की सरजमीं से अब तक
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। मिजाज में तब्दीली आयी नहीं बल्कि मजबूरी के तहत लायी गयी। सपा प्रमुख मुलायम सिंह के कहने पर आजम खां, रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' से मिलने गए और अब दावतनामे के जवाब में रघुराज को मोहम्मद अली जौहर मेडिकल युनिवर्सिटी के शिलान्यास कार्यक्रम में रामपुर जाना है। बात बनती है तो मुजफ्फरनगर की सरजमीं से अब तक दूरी बनाये रखे मुलायम सिंह, आजम खां और रघुराज प्रताप को अपने अगल-बगल रख कर दंगा प्रभावित इलाकों में मरहम लगाने जाएंगे।
आजम खां और रघुराज प्रताप सिंह दोनों के लिए वक्त नाजुक और विकल्प सीमित हैं। दो मार्च को सीओ कुंडा जियाउल हक सहित ट्रिपल मर्डर केस के बाद रघुराज की काबीना मंत्री पद से विदाई के लिए जिम्मेदार और तलबगार माने जाने वाले खां साहब का नाम जब से दंगे के सिलसिले में हुए स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया है तब से उनके मिजाज में इंकलाबी तब्दीली आयी है। वरना पहले तो शायद कभी उन्होंने किसी मुबारक मौके पर घर जाकर रघुराज प्रताप को दावतनामा नहीं दिया।
बहरहाल सपा नेतृत्व ने सिचुएशन का फायदा उठाते हुए आजम खां को ही रघुराज को मनाने की ड्यूटी में लगा दिया है। करीबियों का कहना है कि बातें और भी हुयी हैं और आगे इनके नतीजे समाने आएंगे। बताते हैं कि दिल्ली के शाही इमाम अब्दुल्ला बुखारी की इस बात ने आजम खां को और दबाव में ला दिया कि अगर आरोप लगने पर मंत्री पद से रघुराज प्रताप का इस्तीफा लिया जा सकता है तो फिर आजम खां के साथ ऐसा क्यों नहीं किया गया।
सपा के साथ-साथ खुद की भी मुश्किलें बढ़ने का अहसास होने से भी आजम को मिजाज में तब्दीली लाने पर मजबूर होना पड़ा है। अखिलेश सरकार में कारागार, खाद्य एवं रसद मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह सीओ कुंडा के कत्ल मामले में सीबीआइ की क्लीन चिट मिलने के बावजूद अब तक मंत्री पद की वापसी के बारे में सपा नेतृत्व से कोई संकेत न मिलने से निराश और हताश हैं और ऐसे में बजरिए आजम खां उनको पुचकारने की मुलायम सिंह की कोशिश को लपकने के सिवाय उनके पास कुछ खास विकल्प नहीं है।
उनके समर्थक भी स्वीकारते हैं कि राजा भैया सपा सरकार से खुली बगावत करने से बचेंगे लेकिन फैसला सोच समझ कर करना होगा। एक करीबी कहते हैं कि यह पॉलिटिकल बारगेन का मौका है और देखना है कि राजा अपने लिए पैकेज में क्या ले पाते हैं।
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