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चाय की चुस्कियों के साथ सजी मोदी की चौपाल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। शहर के दूर-दराज चुनावी मैदान से चलकर अब नरेंद्र मोदी गली, मोहल्लों और नुक्कड़ों तक पहुंच गए हैं। चाय की चुस्की के साथ उन्होंने देश के एक हजार स्थानों पर एकसाथ अपनी चुनावी चौपाल सजाई। आपसी बातचीत के अंदाज में लोगों की सुनी, अपनी बताई और यह भरोसा देकर उठे कि सत्ता मिलने पर गरीबी भी दूर होगी व बेरोजगारी भी, देश भी मजबूत होगा और जनता भी।

By Edited By: Published: Wed, 12 Feb 2014 06:44 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2014 10:00 PM (IST)
चाय की चुस्कियों के साथ सजी मोदी की चौपाल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। शहर के दूर-दराज चुनावी मैदान से चलकर अब नरेंद्र मोदी गली, मोहल्लों और नुक्कड़ों तक पहुंच गए हैं। चाय की चुस्की के साथ उन्होंने देश के एक हजार स्थानों पर एकसाथ अपनी चुनावी चौपाल सजाई। आपसी बातचीत के अंदाज में लोगों की सुनी, अपनी बताई और यह भरोसा देकर उठे कि सत्ता मिलने पर गरीबी भी दूर होगी व बेरोजगारी भी, देश भी मजबूत होगा और जनता भी।

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अक्सर अपने चुनावी अभियान में कुछ नया करने वाले भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार मोदी ने बुधवार को भी एक इतिहास बनाया। अहमदाबाद के सरखेज-गांधीनगर हाईवे पर नमो टी स्टाल सजा और वहीं से मोदी दिल्ली, मुंबई, पटना समेत 250 से ज्यादा शहरों में टी स्टाल पर जमा हुए लोगों से ऑनलाइन टीवी के जरिए रू-ब-रू हुए। पहली चाय चौपाल में मुद्दा था सुशासन। अपने शुरुआती संबोधन में मोदी ने कम बोलते हुए ज्यादा वक्त जनता के लिए छोड़ा। फिर एक के बाद एक वडोदरा, पटना, दिल्ली, भोपाल, लखनऊ जैसे शहरों से सुझाव और सवालों को झड़ी लग गई।

पटना से एक व्यक्ति ने गरीबी और बेरोजगारी की बात कर सत्ता में उनके आने की शुभकामना दी, तो मोदी ने यह कहने में देर नहीं लगाई कि इसके लिए नीतियां जिम्मेदार होती हैं। बात काले धन पर उठी तो उन्होंने चुनावी पासा फेंकते हुए कहा कि उसका 5-10 फीसद देश के कर्मचारियों में बांटा जाएगा। चाय बेचने की पृष्ठभूमि को भी वह भुनाने से नहीं चूके और कहा कि उस समय की सभी यादें ताजा हो गई हैं। अपमान भी सहे तो जीवन के लिए कई सीख भी मिलीं। अब वह जानते हैं कि देश के लिए नीतियां कमरों में बैठकर नहीं बन सकतीं। जनता के दुख दर्द को समझने पर ही संवेदनशीलता आती है।

लगभग दो घंटे तक चली पहली चाय चौपाल का लब्बोलुआब यह था कि उन्होंने इकट्ठा हुए लाखों लोगों से सीधा संवाद किया। हालांकि, इसमें शहरी मतदाता ही शामिल थे। महिलाएं नजर नहीं आई, तो ग्रामीण क्षेत्र भी छूट गया। संभव है कि अगली चौपाल में मोदी उन्हें साधने की कोशिश करें। गौरतलब है कि हर सप्ताह अलग-अलग हिस्सों में ऐसी चौपाल लगेगी। कोशिश है कि इसके जरिए मोदी कम से कम दो करोड़ लोगों से सीधे जुड़ें।


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