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    बरकरार है मोदी लहर,भाजपा का उत्साह सातवें आसमान पर

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Sun, 21 Dec 2014 07:30 AM (IST)

    झारखंड और जम्मू-कश्मीर के आखिरी चरण में रिकार्ड तोड़ मतदान के साथ आए एक्जिट पोल में नरेंद्र मोदी की लहर का प्रवाह जारी है। महाराष्ट्र और हरियाणा के बा ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। झारखंड और जम्मू-कश्मीर के आखिरी चरण में रिकार्ड तोड़ मतदान के साथ आए एक्जिट पोल में नरेंद्र मोदी की लहर का प्रवाह जारी है। महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद झारखंड में पूर्ण बहुमत से ज्यादा और जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक बढ़त की ओर बढ़ी भाजपा का उत्साह सातवें आसमान पर है। जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा रहने की आशंका है।

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    झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजे तो मंगलवार को आएंगे लेकिन उससे पहले शनिवार का एक्जिट पोल देश की राजनीति, भाजपा और खासतौर पर संबंधित प्रदेश के लिए अहम है। अस्तित्व में आने के बाद से अब तक मिलीजुली सरकार का दंश झेलते रहे झारखंड ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह में विश्वास जताकर न सिर्फ बहुमत बल्कि दो तिहाई बहुमत तक का संदेश दे दिया। टुडेज-चाणक्य के सर्वे में तो झारखंड में भाजपा को 61 सीटें तक दी गई हैं। 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में एक अन्य सर्वे इंडिया टीवी-सी वोटर सर्वे ने भाजपा के लिए सबसे कम सीटें दिखाई हैं। उसने न्यूनतम सीटें 37-45 दी हैं। इसमें 37 सीटें भी मानें तो ये भी बहुमत के काफी करीब है। ध्यान रहे कि वहां पार्टी की ओर से कोई भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं था। ऐसे में लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही जहां जातिगत समीकरण टूटे हैं। सर्वे की तर्ज पर अगर कांग्रेस-राजद और जदयू का गठबंधन हाशिए पर गया तो इसका असर अगले साल होने वाले बिहार चुनाव पर पड़ना तय है। भाजपा की ओर से इसे उछालने की कोशिश भी शुरू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि अलग होने के बावजूद बिहार और झारखंड का मन एक जैसा है। जिस तरह झारखंड में भाजपा इतिहास बना रही है वैसे ही बिहार में भी भाजपा की बहुमत से सरकार बनेगी।

    वहीं जम्मू-कश्मीर में किसी भी दल को बहुमत मिलने की संभावना नहीं है। एक्जिट पोल में यहां भाजपा मिशन-44 से दूर सही पर बड़ी बढ़त के साथ दूसरे नंबर पर है। यूं तो पीडीपी के नंबर एक पर रहने की संभावना है। लेकिन भाजपा और पीडीपी के बीच कम अंतर ही है। कश्मीर में भी भाजपा का खाता खुल सकता है। जम्मू-कश्मीर का नतीजा इसी तर्ज पर आया तो भी भाजपा के लिए यह जीत से कम नहीं। खासतौर पर तब जबकि न सिर्फ अनुच्छेद-370 के सहारे भाजपा को कठघरे में खड़ा किया जाता रहा बल्कि उसे कश्मीर के खिलाफ भी बताया जाता रहा है। जाहिर है कि झारखंड की सोच की तर्ज पर ही जम्मू-कश्मीर में बदलाव की लहर चली। अलगाववादियों को भी जनता ने संदेश देने की कोशिश की है। संभव है कि नतीजों के बाद अलगाववादी नेताओं और उन्हें प्रश्रय दे रही ताकतों को बड़ा झटका लगे।

    नया साल आने से पहले भाजपा के लिए जहां जश्न की शुरूआत होगी वहीं विपक्षी दलों को संभवत: अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा। केंद्र में मोदी सरकार के छह महीने पूरे हो चुके हैं। इस बीच संसद से लेकर सड़क तक कुछ मुद्दों पर एकजुट विपक्ष ने मंशा पर सवाल उठाने की कोशिश की थी। लेकिन दोनों राज्यों के एक्जिट पोल को माना जाए तो विपक्ष के आरोपों को खारिज कर मोदी और शाह पर जनता का भरोसा बरकरार है। अगली लड़ाई भाजपा इसी नैतिक बल के साथ शुरू करेगी। कांग्रेस मुक्त भारत का मोदी का नारा अब और तेज हो सकता है। ध्यान रहे कि दोनों राज्यों में कांग्रेस भी सत्ता में शामिल रही थी।