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कोयला संकट से निपटने को मोदी ने संभाली कमान

'अच्छे दिन आने वाले हैं' के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार के लिए बिजली क्षेत्र एक बड़ी मुसीबत बन गई है। सरकार को आशंका है कि कोयला ब्लाक मामले में सुप्रीम कोर्ट कही सारे आवंटन रद न कर दे। इससे बिजली क्षेत्र को लेकर सरकार की सारी तैयारियों पर पानी फिर सकता है। ऐसे में प्रधानमंत्री

By Edited By: Updated: Sun, 07 Sep 2014 11:51 AM (IST)
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नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। 'अच्छे दिन आने वाले हैं' के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार के लिए बिजली क्षेत्र एक बड़ी मुसीबत बन गई है। सरकार को आशंका है कि कोयला ब्लाक मामले में सुप्रीम कोर्ट कही सारे आवंटन रद न कर दे। इससे बिजली क्षेत्र को लेकर सरकार की सारी तैयारियों पर पानी फिर सकता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं ही पूरे मामले की निगरानी शुरू कर दी है। संभावित कोयला संकट से निपटने के लिए खुद कमान संभाल ली है।

कोर्ट के संभावित फैसले के असर की समीक्षा में सरकार जुट गई है। इस बात की रणनीति बनाई जा रही है कि कोयला ब्लाकों के आवंटन रद होने के बावजूद बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की दिक्कत पैदा न हो। इतना ही नहीं रद होने वाले कोयला ब्लाकों की फिर से नीलामी छह से आठ महीने में सुनिश्चित करने की भी तैयारी की जा रही है। प्रधानमंत्री के स्तर पर सक्रियता यह बताता है कि ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियों को काफी प्राथमिकता के साथ लिया जा रहा है।

यह भी हकीकत है कि राजग सरकार बनने के बाद ऊर्जा क्षेत्र की समस्याएं और बढ़ी हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित पांच राज्यों में बिजली की किल्लत में बढ़ोतरी हुई है। बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति का मामला भी नहीं सुलझ पाया है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वर्ष 1993 के बाद से सभी आवंटित कोयला ब्लाकों का आवंटन रद कर दिया जाता है तो हालात और चुनौतीपूर्ण हो जाएंगे। यही वजह है कि प्रधानमंत्री चाहते है कि हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहा जाए।

सूत्र बताते हैं कि सरकार ने यह मन बना लिया है कि जो भी कोयला ब्लाक आवंटन रद किए जाएंगे, उन्हें बगैर किसी देरी के नए सिरे से नीलाम किया जाएगा। तैयारी इस बात की है कि छह से आठ महीने के भीतर कोयला ब्लाकों की नीलामी शुरू हो जाए।

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1993-2010 तक के सभी कोयला खदानों का आवंटन रद: सुप्रीम कोर्ट