देश को चाहिए पटेल की पंथनिरपेक्षता: मोदी
सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत पर हक की लड़ाई के बीच भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश को पटेल की पंथनिरपेक्षता की जरूरत है न कि वोटबैंक की पंथनिरपेक्षता की। गुरुवार को गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में सरदार पटेल की सबसे उंची प्रतिमा के लिए नींव डालने के बाद मोदी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि पटेल की पंथनिरपेक्षता सोमनाथ मंदिर निर्माण के आड़े नहीं आई थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत पर हक की लड़ाई के बीच भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश को पटेल की पंथनिरपेक्षता की जरूरत है न कि वोटबैंक की पंथनिरपेक्षता की। बृहस्पतिवार को गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में सरदार पटेल की सबसे उंची प्रतिमा के लिए नींव डालने के बाद मोदी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि पटेल की पंथनिरपेक्षता सोमनाथ मंदिर निर्माण के आड़े नहीं आई थी। उन्होंने महात्मा गांधी का स्मरण कराते हुए राजनीति में घुसे छूआछूत को खत्म करने की भी आवश्यकता बताई।
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पटेल पर मोदी-मनमोहन में चले बाण
दो दिन पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पटेल की विरासत पर कांग्रेस का हक जताया था। बृहस्पतिवार को मोदी ने पटेल के सहारे ही कांग्रेस पर हमला बोला। साथ ही पटेल द्वारा सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराए जाने का उल्लेख करते हुए बेहद सधे हुए शब्दों में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की छिपी हुई संघ स्वयंसेवकों की भावनाओं को भी सहला दिया। कांग्रेस समेत कई दल भाजपा के एजेंडे में अयोध्या मंदिर निर्माण शामिल होने पर सवाल उठाते रहे हैं। इसी बहाने भाजपा पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप भी जड़ा जाता रहा है। जबकि भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं की ओर से कहा जा चुका है कि पार्टी पूर्ण बहुमत में आई तो इसका मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश होगी।
पटेल को साझी विरासत बताते हुए मोदी ने जहां उनपर कांग्रेस के हक को खारिज किया, वहीं यह जताने में भी देर नहीं लगाई कि कांग्रेस ने वर्षो तक उनकी आवाज दबाए रखी। समारोह में पटेल की रिकार्डिग भी सुनाई गई। मोदी ने कहा कि कइयों ने पहली बार उनकी आवाज सुनी होगी। दरअसल मोदी ने जहां उन्हें साझी विरासत बताया वहीं यह दावा करने से भी नहीं चूके कि गुजरात के कारण ही कांग्रेस में पटेल-प्रेम जगा है। उन्होंने कहा, 'अब तक तो पटेल के जन्मदिन पर विज्ञापन नहीं दिखते थे.. यह गुजरात का प्रभाव है।' उन्होंने आगे कहा कि गुजरात सरकार ने पहले भी गांधीनगर में गांधी मंदिर बनाया था। उस वक्त तो कांग्रेस के लोग चुप थे। अब कांग्रेस परेशान क्यों हो गई है।
भाजपा और मोदी के खिलाफ शुरू हुई तीसरी ताकतों की मोर्चेबंदी पर भी मोदी ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'कुछ लोग मोदी की सुपारी लिए हुए हैं, गांधी ने छूआछूत खत्म करने का अभियान चलाया था। लेकिन यह राजनीति में प्रवेश कर गई है। इसे खत्म किया जाना चाहिए। चुनाव पूर्व और बाद में सहयोगियों की जरूरत को देखते हुए मोदी के इस बयान को अहम माना जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम लेकर दलितों को साधने की कोशिश की।
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::नमो उवाच::
* मैं प्रधानमंत्री से सहमत हूं कि पटेल एक सच्चे सेकुलर (पंथनिरपेक्ष) व्यक्ति थे। लेकिन उनकी पंथनिरपेक्षता सोमनाथ मंदिर के निर्माण के आड़े नहीं आई, क्योंकि वह वोट बैंक से प्रभावित नहीं थी।
*वह पटेल की पंथनिरपेक्षता का समर्थन करते है, न कि कुछ पार्टियों द्वारा अपनाई जा रही वोटबैंक की पंथनिरपेक्षता का। प्रधानमंत्री महोदय, इस देश को ऐसी ही पंथनिरपेक्षता की जरूरत है, जो देश को तोड़े नहीं, बल्कि इसे जोड़े।
* इस बात को कोई, यहां तक कि वह भी नकार नहीं सकते कि पटेल एक पार्टी से जुड़े हुए थे, लेकिन उनका कद ऐसा था कि सभी उनका सम्मान करते हैं। हमें अपनी धरोहर को विभाजित नहीं करना चाहिए।
* महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु बेहद सम्मानीय हैं। क्या वे भाजपा के सदस्य थे। क्या केवल भाजपा से जुड़े लोगों को ही मान सम्मान दिया जाना चाहिए। पार्टी से पहले देश है और देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले लोग महान हैं।
* अगर हम इतिहास को देखें तो चाणक्य के बाद सरदार पटेल ने देश की एकता के लिए जितना किया, उतना किसी और ने नहीं किया। उन्होंने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया।
* अगर हमें भारत के गौरव को फिर से स्थापित करना है तो एकता के मंत्र को घर-घर पहुंचाकर दिलों को जोड़ना होगा। सरदार पटेल की प्रतिमा इसमें प्रेरणा का काम करेगी।
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आडवाणी ने की मोदी की प्रशंसा
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। सरदार वल्लभाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा के शिलान्यास कार्यक्रम में शिरकत कर रहे लालकृष्ण आडवाणी ने नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुने गए व्यक्ति द्वारा शुरू की गई इस परियोजना के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है।
सरदार पटेल पर आडवाणी ने कहा कि जब देश की रियासतों के राजा मुहम्मद अली जिन्ना से तोल-मोल कर रहे थे, तब उन्होंने साहसिक कदम उठाते हुए देश को एक किया। 565 रजवाड़ों को एक करना छोटी बात नहीं थी और यह जिम्मेदारी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बखूबी निभाई। इस मौके पर संप्रग सरकार पर गुजरात के प्रति पूर्वाग्रह रखने का संकेत देते हुए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरदार सरोवर बांध का द्वार अब तक नहीं लगाया जा सका है। जबकि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष इस मामले को उठाया है। मोदी ने कहा, 'सरदार सरोवर बांध के द्वार को लगाया जाना अब भी बाकी है। द्वार लगाए जाने के बाद ही बांध में पानी भरेगा। मैं कई बार प्रधानमंत्री से मिला और उनको बताया कि द्वार लगने में तीन साल लगेंगे। हमें इसे लगाने की अनुमति दें। द्वार को बंद करने और उनके संचालन से संबंधित प्रश्नों से बाद में निपटा जा सकता है।'
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संसद में गैरमौजूदगी पर सुषमा-जेटली को घेरा
नई दिल्ली, [राजकिशोर]। नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत पर भले ही दावा ठोंका हो, लेकिन भाजपा के दूसरे बड़े नेताओं के लिए शायद लौहपुरुष इतने अहम नहीं हैं। पटेल की विरासत पर जंग के दौरान संसद में जयंती कार्यक्रम के दौरान लोकसभा और राज्यसभा के विपक्ष के नेताओं की गैरमौजूदगी पर कांग्रेस ने कुछ ऐसे ही चुभते हुए सवाल उठा दिए हैं। वहीं, भाजपा ने सफाई पेश कर कांग्रेस पर कुतर्क करने का आरोप मढ़ा है।
हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस कार्यक्रम में नहीं थी, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के कई मंत्रियों समेत एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने मौजूद रहकर पटेल की विरासत पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश जरूर की। दिलचस्प है कि प्रत्येक वर्ष सरदार पटेल की जयंती पर भाजपा से सदन के दोनों नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के अलावा लालकृष्ण आडवाणी जरूर मौजूद रहते रहे हैं।
इस दफा आडवाणी तो गुजरात में सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा के शिलान्यास कार्यक्रम में गए थे। मगर सुषमा और जेटली भी संसद नहीं पहुंच सके। भाजपा की तरफ से वरिष्ठ नेताओं में वेंकैया नायडू ही दिखे। इसके उलट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के अलावा कांग्रेस से गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, संसदीय कार्यमंत्री राजीव शुक्ला, शशि थरूर समेत तमाम नेता मौजूद रहे। वैसे यह भी पहली बार ही है कि कांग्रेस से इतनी बड़ी तादाद में सरदार पटेल की जयंती के कार्यक्रम में लोग संसद पहुंचे थे।
भाजपा के बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी पर कांग्रेस नेता व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने पटेल पर भाजपा की सोच को लेकर सवाल उठाए और तंज कसा। उन्होंने कहा कि अगर वाकई भाजपा सरदार पटेल का अनुसरण करती है तो वह तो चाहते थे कि संघ पर रोक लगे। क्या भाजपा ऐसा करेगी? उन्होंने कहा कि भाजपा तो सिर्फ सरदार का नाम इस चुनाव में इस्तेमाल करना चाहती है, उनकी नीतियों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कार्यक्रम में प्रतिनिधि के रूप में वेंकैया नायडू गए थे।
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'इससे सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रति इनका सम्मान जाहिर होता है, भाजपा सिर्फ वोट के लिए उनका नाम इस्तेमाल कर रही।' -राजीव शुक्ला, संसदीय कार्य राज्यमंत्री
'अगर यह निकालेंगे कि किस कार्यक्रम में कौन आया और नहीं आया तो बात बहुत दूर तक जाएगी। कांग्रेस कुतर्क पेश कर मुद्दे से ध्यान बंटा रही।' -मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा उपाध्यक्ष
'सरदार पटेल गांधीवादी थे और महात्मा गांधी के बहुत बड़े भक्त थे। कुछ लोग अपने राजनीति फायदे के लिए उनके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं।' -शशि थरूर, केंद्रीय मंत्री
'भाजपा एक अपरिपक्व पार्टी है और पटेल के नाम पर सस्ती राजनीति कर रही है। पटेल और नेहरू के बीच कोई समस्या नहीं थी। उनके बीच अच्छा तालमेल था।' -वी नारायणसामी, केंद्रीय मंत्री
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