मोदी ने कांग्रेस को नेहरू की याद दिलाई
भाजपा के हाथों चुनावी पराजय का स्वाद चख चुकी कांग्रेस अब प्रतीकों की लड़ाई में पिछड़ गई है। आजादी के प्रतीक पुरुषों को लेकर कांग्रेस और भाजपा की जंग में कांग्रेस महज दर्शक बनी नजर आ रही है। महात्मा गांधी और सरदार बल्लभभाई पटेल जैसे प्रतीक पुरुषों को लेकर कांग्रेस के एकाधिकार को सफलतापूर्वक
नई दिल्ली [सीतेश द्विवेदी]। भाजपा के हाथों चुनावी पराजय का स्वाद चख चुकी कांग्रेस अब प्रतीकों की लड़ाई में पिछड़ गई है। आजादी के प्रतीक पुरुषों को लेकर कांग्रेस और भाजपा की जंग में कांग्रेस महज दर्शक बनी नजर आ रही है। महात्मा गांधी और सरदार बल्लभभाई पटेल जैसे प्रतीक पुरुषों को लेकर कांग्रेस के एकाधिकार को सफलतापूर्वक चुनौती दे चुकी भाजपा की नजर अब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर है। पंडित नेहरू के जन्म दिवस को देशभर में सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों के तहत बड़े पैमाने पर आयोजित करने का फैसला कर चुकी सरकार के कदम से कांग्रेस बैकफुट पर है।
दरअसल, आजादी के नायकों पर अपना दावा ठोकने वाली कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए इन नायकों को लेकर कार्यक्रमों को राजघाट और अखबार में छपने वाले विज्ञापनों तक सीमित कर दिया था। चुनावी हार के बाद नई सरकार द्वारा इन नायकों को लेकर चलाए जा रहे कार्यक्रमों से सकते में आई पार्टी को फिर इनकी याद आई है। सत्ता में रहते कांग्रेस ने वर्ष 2013-2014 को नेहरू की 125वीं जयंती के रूप में मनाने का फैसला किया था। लेकिन, पार्टी को अपने वादे की याद वर्ष 2014 की समाप्ति पर आई है। कांग्रेस ने 01 अक्टूबर, 2014 को एक सर्कुलर जारी कर नेहरू जंयती पर एक साल पुरानी बातें दोहराते हुए उनके जन्मदिन को देशभर में मनाने की बात कही। कांग्रेस ने 13, 14, 15 नवंबर को पार्टी के ब्लॉक, जिला एवं प्रदेश कार्यालयों पर रोशनी करने का फरमान जारी किया है। जबकि, इससे पहले 7 नवंबर, 2013 को जारी सर्कुलर में स्पष्ट कहा गया था कि 2014 को पार्टी पंडित नेहरू की 125वीं जन्मशती के रूप में मनाएगी। पार्टी ने कहा था कि जन्मशती वर्ष की शुरुआत नवंबर, 2013 से होगी और साल भर चलने वाले कार्यक्रम वर्ष 2014 तक चलेंगे। इन कार्यक्रमों के लिए सुझाव भी मांगे गए थे। इसके बाद कांग्रेस ने 19 दिसंबर, 2013 को तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, जिसका काम साल भर चलने वाले कार्यक्रमों का निर्धारण करना था। कमेटी में सीपी जोशी और मुकुल वासनिक भी शामिल थे।
कमेटी ने अपने पहले सुझाव में यह कहा था कि कांग्रेस स्थापना दिवस 28 नवंबर तक सभी राज्यों में इन कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती चाहिए। हालांकि, उस समय सत्ता में रही कांग्रेस की प्राथमिकताएं अलग होने के नाते इन कार्यक्रमों का क्रियान्वयन नहीं के बराबर हुआ।
उधर, मोदी सरकार ने इसे गांधी जंयती पर देशभर में शुरू हुए स्वच्छता अभियान से जोड़ते हुए सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों के जरिये प्रतीकों की लड़ाई में फिर कांग्रेस को आईना दिखाने की कोशिश की है।