माहौल को गरमा गए मोदी
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की राजधानी के रोहिणी इलाके में रविवार को हुई रैली से दिल्ली के पार्टी नेता ...और पढ़ें

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की राजधानी के रोहिणी इलाके में रविवार को हुई रैली से दिल्ली के पार्टी नेताओं के चेहरों पर मुस्कान बिखर जाना लाजिमी है। मोदी ने दिल्ली की हुकूमत पर कब्जा जमाने को बेताब भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल को गरमा दिया। कहा यह जा रहा है कि अब सूबे के नेताओं पर यह जिम्मेदारी है कि वह इस रैली से बने माहौल का कितना चुनावी फायदा उठा पाते हैं।
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दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी के बावजूद यह माना जा रहा है कि हमेशा की तरह इस बार भी यहां मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होना है। पिछले तीन चुनावों में शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस भाजपा को शिकस्त देने में कामयाब रही है। ऐसे में भाजपा नेताओं के सामने उसे चौथी बार सत्ता में आने से रोकने की चुनौती है। पार्टी के लिए यह करो या मरो का चुनाव है। ऐसे माहौल में मोदी की रैली में भारी संख्या में जनता को जुटाकर पार्टी नेताओं ने यह संकेत तो दे ही दिए हैं कि वह इस चुनाव को पूरी मुस्तैदी से लड़ने को तैयार हैं।
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सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सूबे में पार्टी के एक तबके के बार-बार दबाव बनाने के बावजूद अब तक अपना मुख्यमंत्री पद का नेता नहीं घोषित किया। इसके पीछे रणनीति यही रही है कि पार्टी इस चुनाव को शीला दीक्षित बनाम दिल्ली के किसी और भाजपा नेता के बदले भाजपा बनाम कांग्रेस बनाकर लड़े ताकि केंद्र सरकार की विफलताओं का फायदा भी उसे विधानसभा चुनाव में मिले। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री पद के दावेदार मोदी की लोकप्रियता का फायदा भी पार्टी उठा सके। इस लिहाज से भी गुजरात के मुख्यमंत्री की रैली की अहमियत बढ़ जाती है।
भाजपा पर अब तक गुटबाजी और आपसी खींचतान के आरोप भी लगते रहे हैं, लेकिन रैली के दौरान दिल्ली के सभी नेता मंच पर पहुंचे हुए थे और उन्होंने यह भी जताने की कोशिश की कि वे दिल्ली में सत्ता हासिल करने की खातिर एकजुट हैं। मोदी की रैली में अपनी उपस्थित दर्ज कराने की बेताबी दिल्ली के तमाम बड़े नेताओं में दिखी। पिछले चुनाव में भाजपा का विजय रथ 24 सीटों का फासला तय कर ठहर गया था। कांग्रेस ने 42 सीटें जीतकर सत्ता हासिल कर ली थी। इस बार के चुनाव को लेकर भी यही कहा जा रहा है कि असली लड़ाई 20 सीटों की ही है क्योंकि कांग्रेस और भाजपा की ताकत को देखते हुए यह माना जा रहा है कि 20-20 सीटों पर जीत दर्ज करने में दोनों को ही कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार वही बनाएगा जो आगे की 20 सीटें जीत जाएगा। इस लिहाज से मोदी की रैली ने सूबे की भाजपा को बढ़त बनाने के लायक माहौल बनाने में मदद की है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि दिल्ली के नेता मोदी की लोकप्रियता को विधानसभा चुनाव में कितना भुना पाते हैं।
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