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मोदी ने चुनाव में उमड़े जनसमर्थन को नहीं होने दिया उचाट

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुशासन, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेस, जन भागीदारी जैसे वादों के साथ केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार के सौ दिनों का पहला पड़ाव मजबूत नींव डालने में सफल रहा है। विभिन्न मंत्रालयों की ओर से उपलब्धियों की जो भी सूची दी जा रही हो, लेकिन सार तत्व यही है कि छोटे-बड़े कदमों से सरकार ने जनता का विश्वास ज

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 08:36 PM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 08:36 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुशासन, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेस, जन भागीदारी जैसे वादों के साथ केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार के सौ दिनों का पहला पड़ाव मजबूत नींव डालने में सफल रहा है। विभिन्न मंत्रालयों की ओर से उपलब्धियों की जो भी सूची दी जा रही हो, लेकिन सार तत्व यही है कि छोटे-बड़े कदमों से सरकार ने जनता का विश्वास जीत लिया है। अब चुनौती विश्वास की इसी नींव पर विकास की विशाल इमारत खड़ी करने की है।

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संकेतों में बहुत कुछ कह जाने वाले प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनाव में जनता ने दिल खोलकर समर्थन दिया था। सपना था विकास का। सौ दिन पूरे होते होते मोदी ने उस समर्थन को विश्वास में बदल दिया है। लंबी पारी खेलने का लक्ष्य लेकर आए मोदी ने सधे प्रशासक की तरह जनता को पहले सौ दिनों में यह समझाने में सफलता पा ली है कि व्यक्तिगत विकास देश के विकास के साथ जुड़ा है। लिहाजा जहां सरकार में कार्यसंस्कृति बदलना जरूरी है वहीं लोंगों की सोच में भी परिवर्तन आवश्यक है। शायद यही कारण है कि सरकार में आते ही उन्होंने रेलभाड़े में बढ़ोतरी के संप्रग सरकार के कड़े फैसले को लागू करने में हिचक नहीं दिखाई।

हां, सरकार ने यह जरूर सुनिश्चित कर लिया कि सरकार बदली हुई दिखनी चाहिए। कामकाज के स्थल पर सफाई, अधिकारियों का समयबद्ध होना जैसे-छोटे कदमों की शुरुआत प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च स्तर से हुई। प्रभाव नीचे तक दिखाई देने लगा है। सर्टिफिकेट को स्व सत्यापित करने की आजादी, कई कांट्रेक्ट में ऑनलाइन मंजूरी जैसे फैसलों ने यह संकेत भी दे दिया है कि नौकरशाही का चंगुल अब कमजोर होगा।

महंगाई, विकास दर जैसे मुद्दों को लेकर तर्क दिए जा सकते हैं, लेकिन पहले सौ दिनों में प्रधानमंत्री मोदी यह संदेश देने मे भी सफल रहे कि भारत विकसित भी होगा और गर्वीला भी। पड़ोसी देशों से लेकर चीन और जापान जैसे विकसित देशों के साथ मोदी का रुख सवा सौ करोड़ की उस आबादी का भरोसा जीतने में सफल रहा है जो शक्तिशाली भारत का सपना देखता है।

पहले सौ दिनों में ऐसे मौके भी आए जब थोड़ी असहज दिखी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह के परिवार के खिलाफ प्रचार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर जासूसी के उपकरण, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की शिक्षा को लेकर विवाद की आग भड़की, लेकिन पिछले 12-13 वर्षो तक गुजरात में विवादों से जूझते रहे मोदी ने इन मुद्दों को सक्रियता से ध्वस्त करने में कोताही नहीं की।


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