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    रास में मोदी सरकार चित, विपक्ष के संशोधन को केंद्र बाध्य

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Wed, 04 Mar 2015 10:08 AM (IST)

    राज्यसभा में सरकार के अल्पमत में होने की बेबसी मंगलवार को सामने आ गई। राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन पर लोकसभा में प्रचंड बहुमत वाली मोदी सरकार राज्यसभा में चित हो गई।सत्ता पक्ष की मान-मनुहार के बावजूद ताकत दिखाने पर तुले विपक्ष ने अभिभाषण पर वोटिंग के जरिये सरकार

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यसभा में सरकार के अल्पमत में होने की बेबसी मंगलवार को सामने आ गई। राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन पर लोकसभा में प्रचंड बहुमत वाली मोदी सरकार राज्यसभा में चित हो गई।

    सत्ता पक्ष की मान-मनुहार के बावजूद ताकत दिखाने पर तुले विपक्ष ने अभिभाषण पर वोटिंग के जरिये सरकार को नीचा दिखाया। विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव पर सरकार 118 के मुकाबले 57 वोटों से हार गई। प्रधानमंत्री मोदी उस वक्त राज्यसभा में मौजूद थे। वोटिंग में हार के बाद सरकार को राष्ट्रपति के अभिभाषण में विपक्ष का संशोधन शामिल करने पर बाध्य होना पड़ा।

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    अड़े येचुरी

    इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल को लेकर माकपा पर करारे हमले किए थे। प्रधानमंत्री के हमले से तिलमिलाए सीताराम येचुरी अभिभाषण को लेकर अपने संशोधन पर अड़ गए। उनकी मांग थी कि उनके संशोधन को अभिभाषण में जोड़ा जाए।

    इसके मुताबिक राष्ट्रपति के अभिभाषण में यह भी जोड़ा जाना था कि 'सरकार कालेधन को वापिस लाने में विफल रही है।' दरअसल, उनका कहना था कि राज्यसभा की परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री व सदन के नेता के भाषण के बाद विपक्ष सवाल पूछ सकता है।

    नायडू की गुजारिश अनसुनी

    जबकि, संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने ऐसी परंपरा न होने की बात कहते हुए अभिभाषण के पारित हो जाने की गुजारिश की। नायडू ने येचुरी से कहा कि 'आपको अधिकार है। आपकी बात नोट कर ली गई है। कृपया मत विभाजन न कराएं।' लेकिन उनकी गुजारिश को येचुरी ने अनसुनी कर दी।

    सपा ने संशोधन वापस लिया

    सपा सहित कई विपक्षी पार्टियों ने संसदीय कार्यमंत्री की गुजारिश पर अपने संशोधन प्रस्तावों को वापस भी ले लिया। लेकिन सीताराम येचुरी अपने संशोधन पर अड़ गए। इसके बाद हुए मत विभाजन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर काले धन और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर विपक्ष का प्रस्ताव पास हो गया।

    पहले भी पास हुए हैं ऐसे संशोधन

    यह चौथा मौका है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष का संशोधन पास हुआ है। इससे पहले जनवरी 1980 में जनता पार्टी सरकार के दौरान, नवंबर 1989 में वीपी सिंह की सरकार के दौरान जबकि मार्च 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी विपक्ष ने सरकार को राज्यसभा में संशोधनों के लिए बाध्य किया था। हालांकि, ऐसा पहली बार है जब पूर्ण बहुमत से चुनी एक पार्टी की सरकार को इस असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है।