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मोदी की 'एक्ट ईस्ट नीति' की परीक्षा

पीएम नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट नीति किस तरह से आगे बढ़ेगी इसका खुलासा मलयेशिया की राजधानी कुवालंलमपुर में आसियान और इसके छह सहयोगी देशों के बीच होने वाली बैठक में साफ हो जाएगा। वैसे तो इस बैठक में समूह 20 सम्मेलन की तरह ही आतंकवाद के मुद्दे के छाये

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2015 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2015 08:46 PM (IST)

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट नीति किस तरह से आगे बढ़ेगी इसका खुलासा मलयेशिया की राजधानी कुवालंलमपुर में आसियान और इसके छह सहयोगी देशों के बीच होने वाली बैठक में साफ हो जाएगा।

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वैसे तो इस बैठक में समूह 20 सम्मेलन की तरह ही आतंकवाद के मुद्दे के छाये रहने के आसार हैं लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी आसियान देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों को नये मुकाम पर ले जाने का प्रस्ताव भी पेश करेंगे। यह प्रस्ताव मुख्य तौर पर यह तय करेगा कि हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौते के आधार पर भारत और आसियान द्विपक्षीय कारोबार को किस तरह से नई उंचाई पर पहुंचा सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक विश्व बैंक की ताजी रिपोर्ट के मुताबिक आसियान के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों में काफी अच्छा प्रदर्शन करने वाली है। यहां के लोगों की क्रय शक्ति में भी काफी सुधार होने वाला है जो भारतीय कंपनियों के लिए काफी अच्छी खबर है।

वाणिज्य मंत्रालय ने भी इन देशों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए खास मुहिम चलाने की वकालत की है। इस तरह से आसियान देशों का महत्व भारत के लिए सिर्फ भू-राजनीतिक वजहों से नहीं है बल्कि जिस रफ्तार से भारत आर्थिक प्रगति करना चाहता है उसके लिहाज से भी आसियान देश अहम भूमिका निभा सकते हैं।

खास तौर पर तब जब भारत अपने निर्यात के लिए नए बाजारों की तलाश में है। पीएम मोदी इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आसियान के साथ भारत के आर्थिक रिश्तों को नए लक्ष्य तय करने का प्रस्ताव करेंगे।

इस बैठक में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा भारत, अमेरिका, चीन, रुस, जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया भी हिस्सा लेंगे। आसियान और इन आठ देशों के बीच एक नई क्षेत्रीय आर्थिक साझेदारी स्थापित करने को लेकर भी इस बार बातचीत होने वाली है।

वैसे सदस्य देश इसे आर्थिक ब्लाक अभी नहीं कह रहे हैं लेकिन अमेरिका और जापान इस साझेदारी के लिए खासे बेताब हैं। चीन ने भी इसे समर्थन देना शुरु कर दिया है। भारत के पास भी इसे पूरा समर्थन देने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

जानकार मान रहे हैं कि आसियान और दुनिया के आठ देशों के बीच होने वाले इस आर्थिक समझौते का वैश्विक कारोबार पर काफी असर पड़ेगा। इस बारे में जो बातचीत होगी उसमें यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत अपने हितों की रक्षा किस तरह से कर रहा है।

कारोबार के लिहाज से आसियान और भारत दोनो एक दूसरे के लिए काफी महत्वपूर्ण बन चुके हैं। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी क्षेत्र है जबकि भारत आसियान के लिए छठा सबसे बड़ा कारोबारी देश हैं। पिछले वर्ष भारत और आसियान के बीच 76.52 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था। आसियान और भारत के बीच पिछले वर्ष मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद इसमें काफी तेजी से बढ़ोतरी के आसार हैं।


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