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    अल्पमत की सरकार

    By Edited By:
    Updated: Mon, 17 Mar 2014 09:31 AM (IST)

    राजीव गांधी की सरकार बोफोर्स स्कैंडल, पंजाब में उग्रवाद, श्रीलंकाई सरकार और लिट्टे के बीच चल रहे गृहयुद्ध में भूमिका को लेकर आलोचना के घेरे में रही। उसी पृष्ठभूमि में नौवीं लोकसभा के चुनाव हुए। विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्य विपक्षी नेता बनकर उभरे। उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा को लगभग सारी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने समर्थन दिया। इ

    राजीव गांधी की सरकार बोफोर्स स्कैंडल, पंजाब में उग्रवाद, श्रीलंकाई सरकार और लिट्टे के बीच चल रहे गृहयुद्ध में भूमिका को लेकर आलोचना के घेरे में रही। उसी पृष्ठभूमि में नौवीं लोकसभा के चुनाव हुए। विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्य विपक्षी नेता बनकर उभरे। उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा को लगभग सारी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने समर्थन दिया। इस कारण चुनाव में 197 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी और वीपी सिंह 143 सीटें जीतकर अल्पमत सरकार बनाने में कामयाब हुए। फ्लैशबैक सीरीज में अतुल चतुर्वेदी की एक नजर:

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    विश्वनाथ प्रताप सिंह

    राजीव सरकार में वित्त एवं रक्षा मंत्री थे। जब वह रक्षा मंत्री थे तो माना जाता था कि बोफोर्स घोटाला मामले में उनके पास कुछ ऐसी सूचनाएं हैं जिनके कारण राजीव गांधी की प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है। उनको कैबिनेट से हटा दिया गया। वीपी सिंह ने अरुण नेहरू एवं आरिफ मुहम्मद खान के साथ मिलकर जन मोर्चा बनाया।

    जनता दल

    11 अक्टूबर, 1988 को जन मोर्चा, जनता पार्टी, लोकदल और कांग्रेस (एस) के विलय से जनता दल का गठन हुआ। उसके नेता वीपी सिंह बने।

    चंद्रशेखर

    वीपी सिंह के बाद जनता दल में विभाजन हो गया। चंद्रशेखर ने 64 सांसदों के साथ मिलकर समाजवादी जनता पार्टी का गठन किया। कांग्रेस के बाहरी समर्थन से वह प्रधानमंत्री बने। छह मार्च, 1991 को कांग्रेस ने राजीव गांधी की जासूसी का आरोप लगाकर उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

    राष्ट्रीय मोर्चा

    क्षेत्रीय दलों द्रमुक, अगप, तेलुगु देसम ने जनता दल के साथ मिलकर राष्ट्रीय मोर्चा बनाया। चुनाव में राष्ट्रीय मोर्चा के सबसे बड़े घटक जनता दल को 143 सीटें मिलीं। माकपा और भाकपा को क्रमश: 33 और 12 सीटें मिलीं। वामदलों और भाजपा ने इसको बाहर से समर्थन दिया। चुनाव बाद राष्ट्रीय मोर्चा की बैठक में वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री पद के लिए देवीलाल के नाम का प्रस्ताव दिया। देवीलाल ने इन्कार करते हुए वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत की। वीपी सिंह के धुर विरोधी चंद्रशेखर को यह नागवार गुजरा। वह बैठक छोड़कर चले गए। वीपी सिंह ने विपक्षी दलों के समर्थन से साधारण बहुमत से सरकार बनाई।

    भाजपा का प्रदर्शन

    वोट: 11.4 फीसद

    सीटे: 85

    1986 में लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के अध्यक्ष बने। उन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू किया। 25 सितंबर, 1990 को आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की। लालू प्रसाद के आदेश पर बिहार के समस्तीपुर में रथयात्रा को रोककर उनको गिरफ्तार कर लिया गया। बदले में भाजपा ने सरकार से समर्थन लेकर उसको गिरा दिया।

    चुनाव तारीख: 22 से 26 फरवरी 1989

    सीटें: 529

    बहुमत: 265

    मतदाता: 50 करोड़

    मतदान: 62 फीसद

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