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मोदी से नाराज मेहता ने छोड़ा लोकायुक्त का पद

नरेंद्र मोदी सरकार की अनिच्छा को कारण बताते हुए गुजरात के लोकायुक्त नियुक्त हुए पूर्व न्यायाधीश आरए मेहता ने पद ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि विवादों के कारण भ्रष्टाचार रोधी संस्था की छवि को ठेस पहुंची है। वहीं, गुजरात सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद उसने जस्टिस मेहता की नियुक्ति के लिए सभी प्रयास किए थे, लेकिन वह कार्यभार नहीं संभालने का मन बना चुके थे।

By Edited By: Published: Thu, 08 Aug 2013 06:12 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2013 11:05 AM (IST)
मोदी से नाराज मेहता ने छोड़ा लोकायुक्त का पद

शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। नरेंद्र मोदी सरकार की अनिच्छा को कारण बताते हुए गुजरात के लोकायुक्त नियुक्त हुए पूर्व न्यायाधीश आरए मेहता ने पद ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि विवादों के कारण भ्रष्टाचार रोधी संस्था की छवि को ठेस पहुंची है। वहीं, गुजरात सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद उसने जस्टिस मेहता की नियुक्ति के लिए सभी प्रयास किए थे, लेकिन वह कार्यभार नहीं संभालने का मन बना चुके थे।

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मौजूदा हालात के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने मोदी से राज्यपाल से माफी मांगकर जस्टिस मेहता से फैसला बदलने के लिए अनुरोध करने की मांग की है। कांग्रेस ने गुरुवार से राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त गुजरात आंदोलन शुरू करने का एलान किया है।

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पूर्व न्यायाधीश पिछले कुछ माह से अमेरिका में थे। दो दिन पहले ही वह भारत लौटे थे। इसके बाद गुजरात के राजनीतिक गलियारों में उनके लोकायुक्त का पदभार ग्रहण करने को लेकर खासी चर्चा थी। बुधवार को जस्टिस मेहता ने राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल को पत्र लिखकर कार्यभार संभालने से इंकार कर दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार की अनिच्छा पर नियुक्त लोकायुक्त को उसकी मदद नहीं मिल सकती। पत्र के मुताबिक 'मैं यह जिम्मेदारी ग्रहण करके कैसे लोकायुक्त बन सकता हूं, जब मेरी निष्पक्षता और विश्वसनीयता सरकार तथा अधिकारियों को स्वीकार्य नहीं है, जिनके आचरण की जांच लोकायुक्त को करनी होती है।' अपने सात पेज के पत्र में जस्टिस मेहता ने कहा कि तीन बार सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बावजूद राज्य सरकार उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी करने को लेकर अनिच्छुक रही। इससे उन्हें आश्चर्य जरूर हुआ, परंतु यह अप्रत्याशित नहीं था। उन्होंने अप्रैल में गुजरात लोकायुक्त विधेयक 2013 विधानसभा से पारित कराने की भी आलोचना की। इसमें मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति द्वारा लोकायुक्त के चयन की बात कही गई है। जस्टिस मेहता ने कहा कि इस तरह अपने जांचकर्ता की नियुक्ति करने से यही संदेश जाता है कि वह लोकायुक्त को पिंजरे में बंद तोता की तरह देखना चाहते हैं। इससे लोकायुक्त अपनी विश्वसनीयता और जनता का सम्मान खो देगा और कई जज इसे स्वीकार्य नहीं करेंगे।

गौरतलब है कि राज्यपाल ने अगस्त 2011 में राज्य सरकार से परामर्श किए बिना न्यायाधीश मेहता को लोकायुक्त नियुक्त किया था, उनके नाम की सिफारिश गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने की थी।

किसने, क्या कहा

'सरकार विरोधी होने के आरोप से दुख पहुंचता है। कुछ लोग मानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति सरकार के साथ नहीं है तो वह सरकार विरोधी ही होगा। वह स्वतंत्र और निष्पक्ष लोगों वाले वर्ग के बारे में नहीं सोचते।'

- पूर्व न्यायाधीश आरए मेहता

'जस्टिस मेहता को राज्यपाल को पत्र लिखने का अधिकार है। लेकिन पत्र मीडिया में लीक करने के पीछे की मंशा गुजरात व देश जानता है।'

- आइके जडेजा, गुजरात भाजपा के प्रवक्ता

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