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    उमा, माया ने दी दुर्गा को 'शक्ति', यूपी सरकार चार्जशीट देने की तैयारी में

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    Updated: Thu, 01 Aug 2013 09:39 AM (IST)

    खनन माफिया की नाक में दम कर देने वाली गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने को लेकर उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती और बसपा सुप्रीमो मायावती भी आइएएस दुर्गा के समर्थन में आगे आई पर सरकार अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं दिख रही। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का कहना है कि अगर कार्रवाई नहीं हुई होती तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में दंगा भड़क गया होता। इसका

    नई दिल्ली, [जागरण न्यूज नेटवर्क]। खनन माफिया की नाक में दम कर देने वाली गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने को लेकर उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती और बसपा सुप्रीमो मायावती भी आइएएस दुर्गा के समर्थन में आगे आई पर सरकार अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं दिख रही। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का कहना है कि अगर कार्रवाई नहीं हुई होती तो पश्चिमी उत्तार प्रदेश के कई जिलों में दंगा भड़क गया होता। इसका कौन जिम्मेदार होता? वहीं, कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने खनन माफिया के दबाव में की गई कार्रवाई के आरोपों को निराधार बताया।

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    सपा सरकार को निशाने पर लेते हुए उमा भारती ने कहा-'मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं। खनन माफिया को खुश करने के साथ वह आइएएस दुर्गा को निलंबित कर एक विशेष समुदाय के लोगों का भी समर्थन पाने के फेर में हैं। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश की जनता को दुर्गा का समर्थन करना चाहिए। मैं इस मुद्दे पर यूपी सरकार को घुटनों के बल ला दूंगी।'

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    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर प्रहार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि पूरे राज्य में गुंडों और माफिया का राज चल रहा है। खनन माफिया को खुश रखने के लिए सरकार ईमानदार अधिकारियों की बलि चढ़ा रही है। उन्होंने राज्यपाल बीएल जोशी से आइएएस दुर्गा को न्याय दिलाने की अपील की।

    पूरे मामले में सरकार के कदम को सही बताते हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द पहली प्राथमिकता है। सरकार ने प्रशासनिक आधार पर यह कार्रवाई की है। इसके पीछे और भी जो अधिकारी हों, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने इस कार्रवाई के विरोध में चल रही गतिविधियों पर भी रोक लगाने के भी संकेत दिए। दूसरी तरफ शिवपाल यादव ने कहा कि सांप्रदायिक मामलों में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होती रहेगी। आइएएस के निलंबन के पीछे खनन का कोई प्रकरण होने से उन्होंने साफ इंकार किया। जबकि कैबिनेट मंत्री आजम खां ने पत्रकारों से बातचीत में अजीबोगरीब प्रतिक्रिया देते हुए कहा-'राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट लो।' कांग्रेस ने मिश्रित प्रतिक्रिया जताई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ.निर्मल खत्री ने आइएएस को गलत भी ठहराया और उन्हें साजिश का शिकार भी बताया। शिवपाल के बयान को बचकाना बताते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने सपा शासनकाल में अब तक हुए तीन दर्जन से अधिक सांप्रदायिक दंगों के दोषी अधिकारियों को निलंबित नहीं किए जाने का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण में अवैध कारोबार फलफूल रहे हैं।

    नागपाल को चार्जशीट देने की तैयारी

    आइएएस दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने के बाद चौतरफा घिरी उत्तर प्रदेश सरकार अब उन्हें चार्जशीट देने की तैयारी कर रही है। सरकार नागपाल से लिखित में उनके द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में स्पष्टीकरण चाहती है। उसके बाद उनके भविष्य पर विचार किया जाएगा। प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चार्जशीट तैयार करने का काम चल रहा है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही सरकार ने कहा था कि वह आइएएस के निलंबन की समीक्षा करेगी, लेकिन अब चार्जशीट की बात की जा रही है। सरकार ने एक धार्मिक स्थल की दीवार को गलत तरीके से गिराने का आरोप लगाकर आइएएस को निलंबित कर दिया था।

    दुर्गा के निलंबन से आइएएस एसोसिएशन भी गुस्से में

    खनन माफियाओं पर शिकंजा कसने के कारण उत्तार प्रदेश सरकार के गुस्से की शिकार हुई महिला आइएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन का मामला राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ने जा रहा है। एक धार्मिक स्थल के निर्माण को लेकर नागपाल की कार्रवाई से तनाव बढ़ने का हवाला देकर आनन-फानन में उनका निलंबन ऑल इंडिया आइएएस एसोसिएशन भी नागवार गुजरा है। उसने भी अखिलेश सरकार के इस कदम को न सिर्फ गलत करार दिया है, बल्कि गुरुवार को एसोसिएशन के सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय के मंत्री वी नारायण सामी, मंत्रालय के सचिव और कैबिनेट सचिव के सामने नागपाल के निलंबन का मुद्दा उठाने जा रहा है। एसोसिएशन नागपाल का निलंबन खत्म कर उनकी बहाली चाहता है। साथ ही उसकी मांग है कि बदली परिस्थितियों में अफसरों के निलंबन के नियम-कायदों में संशोधन भी किया जाना जरूरी हो गया है। भूसरेड्डी का कहना है कि देश में जैसे हालात बनते जा रहे हैं, उसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के ईमानदार और जिम्मेदार अफसरों का काम करना कठिन होता जा रहा है।

    भूसरेड्डी के मुताबिक, किसी मामले की शिकायत पर अफसरों को छोटे या बड़े दंड का प्रावधान है। जहां तक अफसरों के निलंबन का सवाल है तो यह बड़े दंड की श्रेणी में आता है। यह कार्रवाई तभी की जा सकती है, जब चार्जशीट तत्काल दिया जाना जरूरी हो गया हो। यह अंदेशा हो कि संबंधित अधिकारी पद पर रहते हुए साक्ष्य को मिटा सकता है। जांच को प्रभावित कर सकता है, लेकिन दुर्गाशक्ति के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था। लिहाजा, एसोसिएशन ने इसे गंभीरता से लिया है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री नारायण सामी ने साफ किया है कि गौतमबुद्धनगर में एसडीएम के पद तैनात दुर्गाशक्ति के मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट अभी मिली नहीं है। रिपोर्ट आने के बाद केंद्र जरूरी पहल करेगा।

    ''पूरे उत्तार प्रदेश में गुंडों और माफिया का राज चल रहा है। खनन माफिया को खुश रखने के लिए सरकार ईमानदार अधिकारियों की बलि चढ़ा रही है।''

    -मायावती, बसपा अध्यक्ष

    ''अगर कार्रवाई नहीं हुई होती तो पश्चिमी उत्तार प्रदेश के कई जिलों में दंगा भड़क गया होता। इसका कौन जिम्मेदार होता?''

    -मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख

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