मसर्रत पर बिगड़ा कश्मीर का आलम
अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को रिहा करने के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के फैसले पर भाजपा ने सहयोगी पार्टी पीडीपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि सरकार के फैसलों में पीडीपी की मनमानी नहीं चलेगी। इस बीच, जम्मू में प्रदेश युवा कांग्रेस व पैंथर्स
जम्मू, राज्य ब्यूरो। अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को रिहा करने के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के फैसले पर भाजपा ने सहयोगी पार्टी पीडीपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि सरकार के फैसलों में पीडीपी की मनमानी नहीं चलेगी। इस बीच, जम्मू में प्रदेश युवा कांग्रेस व पैंथर्स पार्टी कार्यकर्ताओं ने मसर्रत की रिहाई का कड़ा विरोध करते हुए रविवार को प्रदर्शन किया। पैंथर्स पार्टी ने इस मुद्दे पर सोमवार को जम्मू बंद का आह्वान किया है।
एक सप्ताह पुरानी पीडीपी-भाजपा सरकार के तीनों बड़े कश्मीर केंद्रित फैसलों से उपजे हालात में रविवार को भाजपा की आपात बैठक बुलाई गई। इसमें पार्टी के सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने एकमत से पीडीपी के रवैए को नकार दिया और इस दिशा में उचित कार्रवाई पर जोर दिया।
जम्मू के गांधीनगर स्थित इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में हुई बैठक में पार्टी का पारा गर्म रहा। सूत्रों के अनुसार, कई वरिष्ठ नेताओं ने मुफ्ती के फैसलों पर कड़ा एतराज जताते हुए एकतरफा फैसलों पर रोक लगाने की मांग की। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जुगल किशोर ने कहा कि मुफ्ती मुहम्मद सईद के कश्मीर केंद्रित फैसलों से हम सख्त नाराज हैं। सरकार बनने के बाद बड़े फैसले करते समय भाजपा को नजरअंदाज किया गया। यह गलत है। अलबत्ता उन्होंने कहा कि सरकार अपना छह साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
गृह मंत्रालय ने मांगी राज्य सरकार से रिपोर्ट
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मसर्रत आलम की जेल से रिहाई पर केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। सोमवार को संसद में होने वाली प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय ने रविवार को ही राज्य से रिपोर्ट तलब कर ली। साथ ही केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख के. राजेंद्र से फोन पर बातकर पूरे मामले में राज्य का पक्ष जानने की कोशिश की है। सरकार को आशंका है कि विपक्षी पार्टियां इस मामले पर उसे संसद में घेरने की कोशिश करेंगी। आलम को रिहा करने के फैसले पर देश भर में हो रहे विरोध को देखते हुए गृह मंत्रालय ने तत्काल राज्य सरकार से इस पर सफाई मांगी है।
न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुई मेरी रिहाई
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर से नई दिल्ली तक की सियासत में अपनी रिहाई से हलचल पैदा करने वाले कट्टरपंथी मसर्रत आलम ने रविवार को कहा कि मेरी रिहाई न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुई है। इसका जम्मू-कश्मीर सरकार से कोई वास्ता नहीं है। अपने निवास पर दैनिक जागरण के साथ एक संक्षिप्त बातचीत में मुस्लिम लीग के प्रमुख ने कहा कि हिंदुस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने मेरी रिहाई का आदेश दिया था। जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मुझे जेल में बंद रखने की समय सीमा खत्म हो चुकी है। कश्मीर में पत्थरबाजों के साथ संबंधों और 2010 के हिंसक प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर आलम ने कहा कि हम कश्मीर की आजादी के लिए लड़ रहे हैं। आगे की योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि मैं चार साल बाद बाहर आया हूं। अपने साथियों के साथ चर्चा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
'कट्टरपंथी मसर्रत आलम की रिहाई न्यूनतम साझा कार्यक्रम का उल्लंघन है। इस तरह का देश विरोधी फैसला भाजपा को मंजूर नहीं है। यह गठबंधन सरकार है और इसमें किसी एक पार्टी की मर्जी नहीं चल सकती है।' -जुगल किशोर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

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