Move to Jagran APP

मनमोहन सिंह: अर्थशास्त्री से पीएम की कुर्सी तक का सफर

मनमोहन सिंह भारत के 13वें और वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। मनमोहन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले पहले सिख हैं। वे जवाहरलाल नेहरू के बाद देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बनें, जिन्हें पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला।

By Edited By: Published: Thu, 26 Sep 2013 09:42 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2013 09:47 AM (IST)

नई दिल्ली। मनमोहन सिंह भारत के 13वें और वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। मनमोहन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले पहले सिख हैं। वे जवाहरलाल नेहरू के बाद देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बनें, जिन्हें पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला।

loksabha election banner

मनमोहन का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 26 सितंबर,1932 को हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। जब वे बहुत छोटे थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था। दादा-दादी ने उनका पालन-पोषण किया और वे उनके करीब रहे।

विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर आ गया जहां के हिंदू कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई की। पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियां लीं। कई वर्ष ब्रिटेन में रहकर कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से भी अर्थशास्त्र की पढ़ाई की।

ऑक्सफोर्ड से डॉक्टरेट लेने के बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तीन वर्ष तक काम किया। 70 के दशक में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने के साथ-साथ विदेशी व्यापार मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर काम किया। तब इस विभाग के केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा ने उनकी योग्यता को पहचाना और उन्हें अपना सलाहकार बनाया था।

वर्ष 1982 में उन्हें रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया गया और बाद में वे योजना आयोग से जुड़े। 1990 में यहां काम करने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने उन्हें अपना वित्त मंत्री बनाया।

तब भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही खस्ताहाल थी। बाद में मनमोहन ने इसे सुधारा। राव और सिंह ने अर्थव्यवस्था के लाइसेंस, कोटा राज को खत्म कर दिया और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआई] को बढ़ाया और सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों का निजीकरण शुरू किया।

1993 में उन्होंने सिक्युरिटीज घोटाले के बाद वित्तमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की लेकिन श्रीराव ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। वे 1991 में असम से राज्यसभा के सदस्य बने और उन्होंने 1996 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गए। पर वे राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष बने रहे।

14वीं लोकसभा के आम चुनाव में कांग्रेस जीती और कांग्रेस के नेतृत्व में बने यूपीए गठबंधन की कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। 22 मई, 2004 को वे पहली बार प्रधानमंत्री बने।

अपने पहले कार्यकाल में मनमोहन ने अर्थव्यवस्था को उदारीकृत करने का काम किया और देश के तीव्र विकास के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ मिलकर भारतीय बाजार को विकसित करने के उपाय किए। मनमोहन का गुरशरण कौर से विवाह हुआ था। उनके तीन बेटियां हैं।

टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में विपक्ष के भारी दवाब के चलते मनमोहन सरकार में संचार मंत्री ए राजा को न केवल अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा, अपितु उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इस मामले में प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देश में कोयला आवंटन के नाम पर करीब 26 लाख करोड़ रुपये की लूट हुई और सारा कुछ प्रधानमंत्री की देखरेख में हुआ, क्योंकि यह मंत्रालय उन्हीं के पास है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.