मणिपुर हाई कोर्ट ने आर्थिक नाकेबंदी को अवैध करार दिया
चीफ जस्टिस राकेश राजन प्रसाद, जस्टिस एन कोटेश्वर और जस्टिस एन रॉबिन की पूर्ण पीठ ने इस संबंध में तीन मार्च को आदेश पारित किया।
इंफाल, आइएएनएस । मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य में पिछले चार माह से जारी आर्थिक नाकेबंदी को अवैध करार दिया है। राज्य में सात नए जिलों के गठन के विरोध में यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने पिछले साल एक नवंबर से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी कर रखी है। इसके चलते राज्य में ईधन और रोजमर्रा की दूसरी चीजों की आपूर्ति भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
चीफ जस्टिस राकेश राजन प्रसाद, जस्टिस एन कोटेश्वर और जस्टिस एन रॉबिन की पूर्ण पीठ ने इस संबंध में तीन मार्च को आदेश पारित किया। पीठ ने आरके जोयसना की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नाकेबंदी से उत्पन्न हालात पर चिंता भी जाहिर की। इस मामले में यूएनसी के अध्यक्ष गैडॉन कामेई और प्रचार सचिव स्टीफेन लैमकांग हाई कोर्ट में पेश हुए।
जबकि यूएनसी के छह अन्य पदाधिकारी पेश नहीं हुए। कार्ट ने उन्हें 23 मार्च को पेश होने का अंतिम मौका दिया है। तब तक के लिए कोर्ट ने गैडॉन और स्टीफेन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कोर्ट ने फैसले में कहा कि जो लोग और संगठन आर्थिक नाकेबंदी थोप रहे हैं वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं। इसलिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, यूएनसी द्वारा थोपे गए आर्थिक नाकेबंदी को अवैध करार दिया जा रहा है। आर्थिक नाकेबंदी से राज्य की जीवनरेखा कहे जाने वाले एनएच 2 और एनएच 37 को पूरी तरह बंद हैं।
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