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    MP में दो संदिग्ध बांग्लादेशियों के पासपोर्ट का पुलिस ने कर दिया सत्यापन, ऐसे पकड़ में आया मामला

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 06:00 AM (IST)

    भोपाल में दो संदिग्ध बांग्लादेशियों के पासपोर्ट के लिए पुलिस द्वारा नागरिकता और पते का सत्यापन करने का मामला सामने आया है, जिसके बाद पुलिस अधिकारी सत् ...और पढ़ें

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    संदिग्ध बांग्लादेशियों के पासपोर्ट कर दिए सत्यापित। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दो संदिग्ध बंग्लादेशियों के पासपोर्ट के लिए नागरिकता और पते का सत्यापन कर व्यवस्था निशाने पर है। मामला खुलने के बाद दोनों संदिग्ध फरार हैं और पुलिस अधिकारी सत्यापन प्रक्रिया की जांच शुरू कर चुके हैं। यह पहली बार नहीं है जब भोपाल में इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। पुलिस ने कुख्यात डान अबू सलेम और उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के पासपोर्ट आवेदन को सत्यापित कर अनुकूल रिपोर्ट लगा दी थी।

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    ताजा मामला कोलार थाने का है। यहां संदिग्ध बांग्लादेशी मोहम्मद रिहान अंसारी और मोहम्मद मकबूल अंसारी ने वर्ष 2024 में पासपोर्ट वैरीफिकेशन करवाया था। उन्होंने कोलार की राजवैद्य कालोनी निवासी लक्ष्मी ठाकुर के पते पर किरायेदारी का अनुबंध पत्र तैयार करवाया। इसी के आधार पर उन्होंने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। वहां से पुलिस वेरिफिकेशन के लिए आया तो पुलिस वालों ने उसी पुराने तरीके अनुकूल रिपोर्ट लगाकर सत्यापन पूरा कर दिया।

    संदिग्धों को पासपोर्ट हो चुके थे तैयार

    दोनों संदिग्धों के पासपोर्ट तैयार हो चुके थे, लेकिन ऐन वक्त पर पासपोर्ट कार्यालय को कुछ खटका और उन्होंने केंद्रीय खुफिया एजेंसी को इसकी सूचना दी। वहां से कोलार एसीपी को निर्देश मिला और फिर कोलार पुलिस ने दोनों संदिग्धों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। आरोपित फरार हो चुके थे और अब तक पकड़ से बाहर हैं। पुलिस को यह तक नहीं पता कि यहां वे कब से रह रहे थे और उनका लिंक कौन था?

    शस्त्र लाइसेंस के लिए आपराधिक रिकार्ड की अनदेखी

    कोहेफिजा के बिल्डर साहिब उर रहमान का मामला भी चिंताजनक है। आपराधिक रिकार्ड होने के बावजूद पुलिस ने शस्त्र लाइसेंस के लिए साहिब का सत्यापन कर दिया। बाद में उसी शस्त्र लाइसेंस के नाम पर खेल विभाग से मिलने वाले कारतूसों की जलसाजी का खेल हो गया।

    यहीं से पासपोर्ट बनवाकर पुर्तगाल भागा था सलेम

    कुख्यात आतंकी दाउद इब्राहिम का राइट हैंड और गैंगस्टर अबू सलेम 2001 में भोपाल से ही पासपोर्ट बनवाकर पुर्तगाल भागा था। एक स्थानीय संपर्क सिराज के जरिये यह काम एजेंटों से कराया गया था। प्रति पासपोर्ट 35 हजार रुपये की दर से सलेम, उसकी पत्नी समीरा जुमानी और मोनिका बेदी का पासपोर्ट बनवाया गया।
    पुलिस ने नाम, पहचान और पते को वेरीफाइ किया और क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने पासपोर्ट जारी कर दिए। ये पासपोर्ट दानिश बेग, रुबीना बेग और फौजिया उस्मान के फर्जी नाम और सिराज के पते को मिलाकर बने थे।

    क्या है पासपोर्ट वेरीफिकेशन की प्रक्रिया

    • बीट कांस्टेबल / एएसआई घर जाकर जांच करता है
    • क्या आवेदक उसी पते पर रहता है?
    • पड़ोसियों से पुष्टि करता है
    • यदि किराएदार है तो मकान मालिक से पूछताछ
    • आधार कार्ड, वोटर आइडी, राशन कार्ड, बिजली बिल आदि
    • दस्तावेज़ों पर पता और नाम का मिलान
    • थाने के रिकॉर्ड से जांचा जाता है कि संबंधित पर कोई एफआइआर, वारंट, कोर्ट केस लंबित तो नहीं
    • यदि केस है तो उसकी प्रकृति क्या है।

    चूक कहां हो रही है

    अधिकारियों और ट्रेवल एजेंटों से बातचीत में जो तथ्य निकल कर आए हैं वह चूक के लिए "खुश करने" के पैटर्न की ओर इशारा करते हैं। एक ढर्रा बन गया है कि तय रकम मिलने के बाद जांच के लिए गया बीट कांस्टेबल अथवा एएसआइ अक्सर सिर्फ “मिल गया” लिख देता है। पड़ोसियों से औपचारिक पूछताछ तक नहीं होती।

    वहीं रोज दर्जनों वेरिफिकेशन और सीमित समय, सीमित स्टाफ भी लंबी पूछताछ करने का मौका नहीं देते। सामने यह भी आया है कि इस तरह के मामलों में गहराई से जांच के लिए न तो प्रशिक्षण मिला है और प्रोत्साहन मिलता है।

    अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अवधेश गोस्वामी ने कहा कि शस्त्र और पासपोर्ट वैरीफिकेशन के दोनों प्रकरणों को लेकर एक जांच समिति बनाई गई है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उसकी जांच कर रहे हैं। ये किसी तकनीकी खामी के कारण हुआ है या पुलिसकर्मी का ही दोष है। इसकी विस्तृत जांच होगी, जिससे आगे से इस तरह की गलतियों को रोका जा सके। वहीं जांच के बाद आरोपितों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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