कान्हा अवतरित, पुलकित हुई मथुरा
विष्णु के 16 कला वाले अवतार की पांच हजार साल से ज्यादा पुरानी लीला बुधवार को जीवंत हो गई। आस्था की लहरें श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल पर समा नहीं रही थीं। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मथुरा। विष्णु के 16 कला वाले अवतार की पांच हजार साल से ज्यादा पुरानी लीला बुधवार को जीवंत हो गई। आस्था की लहरें श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल पर समा नहीं रही थीं। रात 12 बजते ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि व अन्य मंदिरों में घंटे-घड़ियाल बजने लगे, बधाइयां गाई जाने लगीं। जन्मभूमि ही नहीं पूरी मथुरा नगरी की भव्यता अपने चरम पर पहुंच गई, उसके आगे तीनों लोक फीके लगने लगे। प्रात:कालीन पुष्पांजलि से लेकर जन्मोत्सव तक के एक-एक क्षण और पल को यादगार बनाने के लिए श्रद्धालुओं के कदम जन्मभूमि की ओर बढ़े जा रहे थे। मध्य रात्रि में कृष्ण अवतार होने तक श्रद्धा का सैलाब उमड़ आया था। 'जै कन्हैया लाल की..' के जयकारों की गूंज हो रही थी।
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में जन्म अभिषेक के दर्शन के लिए देवी-देवता भी इस पवित्र भूमि पर उपस्थित रहते हैं। श्रीकृष्ण के जन्म स्थान के अद्भुत रूप को देखकर बुधवार को लाखों श्रद्धालु भक्ति भाव के आनंद से विभोर हो उठे। भागवत भवन के भीतरी भाग में निर्मित मयूर सबके मन में कौतूहल का भाव पैदा कर रहे थे। ब्रज के कलाकारों ने बंगले पर मनोरम मयूर आकृतियां उकेरी थीं। भागवत भवन के प्रवेश और निकास द्वार पर भी ऐसे मयूर बनाए थे, जो देखने में सजीव प्रतीत हो रहे थे। गर्भगृह, श्री केशवदेव और श्री योगमाया मंदिर की सुंदरता भी देखते बन रही थी।
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बुधवार सुबह श्रद्धालुओं की संख्या पिछले वषरें की अपेक्षाकृत कम रही, मगर शाम होते-होते श्रद्धालुओं का रेला जन्मभूमि पर उमड़ने लगा। गोविंद नगर गेट से प्रवेश को लेकर मारामारी मची थी। जैसे ही सूरज की किरणें अस्ताचल की ओर बढ़ीं, वैसे ही बिजली की झिलमिलाती रोशनी ने जन्मभूमि को अपने आगोश में ले लिया।
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जीवंत हो गया द्वापर
जन्मभूमि स्थान परिसर में बना लीला मंच द्वापर को जीवंत कर रहा था। सुबह पुष्पांजलि कार्यक्रम के बाद इस मंच पर ब्रज के कलाकारों द्वारा देवकी- वासुदेव को कारागार में डालने, कृष्ण जन्म के साथ ही देवकी- वसुदेव की बेडि़यां टूटना, वसुदेव का कान्हा को लेकर यमुना पार करना, नंदोत्सव आदि के मंचन ने द्वापरकालीन लीलाओं को जीवंत कर दिया।
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कृष्ण रंग राची शिव की काशी
वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की काशी नटवर नागर के जन्मोत्सव पर श्याम रंग में नहाई। हर गली सड़क उल्लास आह्लंाद से भर आई। भोले भक्तों ने कन्हाई से प्रीत लगाई और तन मथुरा मन वृंदावन हो उठा। मठ मंदिरों में साज श्रृंगार तो घरों में भी खुशियों का पारावार नहीं।
भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी, दिन बुधवार और नक्षत्र भी रोहिणी। घड़ी ने रात के 12 बजाए और गांव-नगर का हर कोना 'नंद के आनंद भयो जै कन्हैया लाल की..' के उद्घोष से गूंज आए।
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