'आसाराम की गिरफ्तारी कानून की जीत'
आसाराम बापू की गिरफ्तारी की खबर से पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली है। पीड़ित छात्रा समेत मां, भाई और पिता सभी बेहद खुश हैं। उन्होंने जोधपुर पुलिस के प्रति पूरा भरोसा जताते हुए बापू की गिरफ्तारी को न्याय की पहली जीत बताते हुए अंतिम सांस तक लड़ने का संकल्प लिया। हालांकि, बापू को षड़यंत्रकारी बताते
शाहजहांपुर, [जासं]। आसाराम बापू की गिरफ्तारी की खबर से पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली है। पीड़ित छात्रा समेत मां, भाई और पिता सभी बेहद खुश हैं। उन्होंने जोधपुर पुलिस के प्रति पूरा भरोसा जताते हुए बापू की गिरफ्तारी को न्याय की पहली जीत बताते हुए अंतिम सांस तक लड़ने का संकल्प लिया। हालांकि, बापू को षडयंत्रकारी बताते हुए पीड़ित परिवार खुद की सुरक्षा को लेकर खासा आशंकित दिखा।
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छात्रा के पिता ने बताया कि गिरफ्तारी से पूर्व भी बापू ने अपने जाल में फांसने की कोशिश की थी। साथ रहने वाले अर्जुन भाई से फोन कराकर लालच का षडयंत्र रचा। फोन पर कहा गया 'हां.भाई, सब ठीक है। मैसेज मिल गया आपका, बंडल लेकर कहां पहुंचना है..।' लेकिन जब फोन पर यह कहा कि गया कि मैसेज किसने दिया मैं तो यहां भूख हड़ताल पर बैठा हूं, तो फोन काट दिया गया।
आसाराम की गिरफ्तारी के लिए शनिवार सुबह पौने दस बजे पिता ने कलेक्ट्रेट में अनशन शुरू किया था।
दोपहर 12.45 बजे और फिर रात साढ़े ग्यारह बजे मोबाइल पर किसी अर्जुन भाई का फोन आया था। रात साढ़े बारह बजे उन्हें इलेक्ट्रानिक मीडिया ने आसाराम बापू के गिरफ्तार होने की सूचना दी। सीओ सिटी ने रात करीब डेढ़ बजे नींबू-पानी पिलाकर अनशन तुड़वाया और कड़ी सुरक्षा में घर भिजवा दिया।
उधर, सुबह से ही लोगों के फोन आने लगे। सभी ने गिरफ्तारी पर बधाई दी। आठ बजे सुबह शुरु हुआ लोगों का आना-जाना रविवार देर शाम तक चला।
'जागरण' से बातचीत में छात्रा के पिता ने गिरफ्तारी को पहली जीत बताया। साथ ही आशंका जताई कि अभी आसाराम जमानत के लिए षडयंत्र रचने की कोशिश करेंगे लेकिन उन्होंने आखिरी लड़ाई भी जीतने की उम्मीद जताई।
'बाबा' गिरफ्तार हो गया.. 'थैंक्स पापा'
शाहजहांपुर। उसके लिए 17 दिन बाद रविवार को सूरज निकला, जब सुबह छह बजे जगते ही पापा ने बताया कि 'बाबा' गिरफ्तार हो गए। मन पर लगा बोझ एक क्षण में मिट गया और पिता से लिपटकर बोली-थैंक्स पापा..। बेटी ही क्यों, शाहजहांपुर के इस पूरे परिवार ने रविवार को राहत की सांस ली। 15 दिन बाद सबने साथ बैठकर खाना खाया और ईश्वर व पूरे देश के प्रति कृतज्ञता जताई जिन्होंने इस लड़ाई में उनका साथ दिया।
पिता ने जागरण को बताया कि बाबा की गिरफ्तारी की खबर से बिटिया अपने जख्मों को भूल गई। भाई के साथ आधे घंटे पूजा की। जबकि दुष्कर्म के बाद उसने पूजाघर जाना छोड़ दिया था। पूरे परिवार ने 17 दिन बाद साथ बैठकर खाना खाया और टीवी देखा। बेटी ने तो टीवी देखना छोड़ दिया था। यदा-कदा खोला भी, लेकिन अपने ही प्रकरण की खबरें देखकर वह व्यथित हो जाती थी। सोते से अचानक चौंककर जग जाती। कभी रात जागकर काट देती। बेटी की इस मनोदशा पर पूरा परिवार आहत था।
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