केजरीवाल ने छह साथियों संग संभाली सत्ता की बागडोर
नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। ऐतिहासिक रामलीला मैदान से शनिवार को दिल्ली के साथ-साथ शेष देश ने आम आदमी के उत्थान की एक अद्भुत लीला देखी। आम आदमी के संघर्ष और इस संघर्ष की करिश्माई सफलता के प्रतीक बने और दिल्ली के नए नायक के रूप में उभरे अरविंद केजरीवाल ने अपने छह साथियों संग शासन की विधिवत बागडोर संभालने के साथ भारतीय राजनीति में बदलाव के एक नए युग का परचम फहराया।
नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। ऐतिहासिक रामलीला मैदान से शनिवार को दिल्ली के साथ-साथ शेष देश ने आम आदमी के उत्थान की एक अद्भुत लीला देखी। आम आदमी के संघर्ष और इस संघर्ष की करिश्माई सफलता के प्रतीक बने और दिल्ली के नए नायक के रूप में उभरे अरविंद केजरीवाल ने अपने छह साथियों संग शासन की विधिवत बागडोर संभालने के साथ भारतीय राजनीति में बदलाव के एक नए युग का परचम फहराया। आम आदमी पार्टी यानी आप के हजारों उत्साही साथियों और समर्थकों के समक्ष केजरीवाल ने जब दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब रामलीला मैदान में कुछ वैसा ही दृश्य उभर आया जैसा 28 माह पहले शनिवार, 28 अगस्त 2011 को तब था जब वह अन्ना के साथ उनके अनशन की समाप्ति पर भ्रष्टाचार को लेकर देश की शासन व्यवस्था को ललकार रहे थे। शनिवार, 28 दिसंबर को उन्होंने अन्ना के बजाय उनके पोस्टरों की मौजूदगी में शासन व्यवस्था का अंग बनकर भ्रष्ट तत्वों को ललकारने के साथ ईमानदार लोगों को आम आदमी के हित में काम करने के लिए आगे आने को कहा।
चुनाव नतीजे आने के पूरे 20 दिन बाद आखिरकार दिल्ली के लोगों का नई सरकार पाने का इंतजार पूरा हुआ। शनिवार को केजरीवाल के यहां के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब उनके सामने उस राजनीति का वास्तविक नमूना भी दिखाने की चुनौती है, जिसके दावों पर पूरा देश टकटकी लगाए है। 70 सीटों वाली विधानसभा में महज 28 विधायकों वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भारी तादाद में पहुंच कर आम लोगों ने तो अपना विश्वास जता दिया है। अब उन्हें एक हफ्ते के अंदर कांग्रेस की मदद से विधानसभा में विश्वास मत भी जीतना होगा।
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अपने छह मंत्रियों के साथ केजरीवाल ने दोपहर 12 बजे उसी रामलीला मैदान में जनता के बीच शपथ ली जहां कभी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व में आंदोलन चलाया था। सत्ता के इस नए नायक ने पहले दिन से ही नए किस्म की अपनी राजनीति का ट्रेलर दिखाना शुरू कर दिया। पूरे कैबिनेट के साथ वे मेट्रो और अपनी साधारण कार की सवारी कर यहां पहुंचे। अपने व मंत्रियों के परिवार वालों को जनता के बीच बिठाया। साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग के एलान के साथ पहले ही दिन से सरकारी काम-काज भी शुरू कर दिया।
शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर हुई केजरीवाल कैबिनेट ने जो पहला प्रस्ताव पारित किया वह लाल बत्ती और वीआइपी संस्कृति के खिलाफ है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल और उससे पहले सरकारी काम में पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार कानून के लिए आंदोलन करने वाले केजरीवाल ने सत्ता संभालने के साथ दिल्ली के लोगों से वादा किया कि वे दो दिन के अंदर भ्रष्टाचार पर काबू के लिए एक हेल्पलाइन शुरू करेंगे जिस पर फोन कर लोग रिश्वत मांगने वालों को रंगे हाथ पकड़वा सकेंगे। दिल्ली ही नहीं संभवत: यह देश की पहली ऐसी सरकार है, जिसमें शामिल सभी मंत्री पहली बार ही कोई चुनाव जीते हों।
केजरीवाल के साथ शपथ लेने वालों में उनके पुराने सहयोगी मनीष सिसोदिया के अलावा, सोमनाथ भारती, राखी बिड़ला, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन और गिरीश सोनी शामिल थे। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली राखी की उम्र महज 26 साल है।
ऐसा कोई काम न करें जिससे घमंड की बू आए
मुख्यमंत्री की ताजपोशी के तुरंत बाद केजरीवाल एक बार फिर उसी तेवर के साथ जनता से मुखातिब हुए। उन्होंने शपथ ग्रहण के मंच से ही कहा, 'आम आदमी पार्टी दूसरी पार्टियों का घमंड तोड़ने के लिए बनी है। मैं अपने विधायकों और मंत्रियों से हाथ जोड़ कर विनती करना चाहूंगा कि वे ऐसा कोई काम नहीं करें, जिससे कि एक और पार्टी को हमारा घमंड तोड़ने के लिए पैदा होना पड़े।' आम तौर पर ऐसे समारोह में मौजूद रहने वाले कद्दावर नेताओं ने भी इस मौके से दूरी रखी। सिर्फ दिल्ली में भाजपा विधायक दल के नेता हर्षवर्धन इस मौके पर पहुंचे।
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