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तीसरे मोर्चे की हवा निकालने में जुटे वामदल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश में गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा राजनीति के लिए ममता बनर्जी ने फेडरल फ्रंट के तौर पर तीसरे मोर्चे का राग क्या छेड़ा, उनके धुर विरोधी वामदलों ने उसकी हवा निकालनी शुरू कर दी। जिन मुख्यमंत्रियों नवीन पटनायक व नीतीश कुमार के भरोसे इस फ्रंट की आस जगी थी, वामदलों ने उसमें ही छेद कर दिया। इतना ही नहीं, वामदला

By Edited By: Published: Fri, 14 Jun 2013 09:45 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2013 09:55 PM (IST)
तीसरे मोर्चे की हवा निकालने में जुटे वामदल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश में गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा राजनीति के लिए ममता बनर्जी ने फेडरल फ्रंट के तौर पर तीसरे मोर्चे का राग क्या छेड़ा, उनके धुर विरोधी वामदलों ने उसकी हवा निकालनी शुरू कर दी। जिन मुख्यमंत्रियों नवीन पटनायक व नीतीश कुमार के भरोसे इस फ्रंट की आस जगी थी, वामदलों ने उसमें ही छेद कर दिया। इतना ही नहीं, वामदलों ने तीसरी ताकत के बड़े पैरोकार सपा के मुलायम सिंह यादव को साधकर ममता की राह मुश्किल करनी शुरू कर दी है।

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वैसे तो तीसरे मोर्चे की पहल के साथ ही उसके भविष्य पर सवाल उठने लगते हैं। शायद यह सवाल अनायास भी नहीं है और इसको लेकर चला घटनाक्रम इसकी पुष्टि भी कर रहा है। सोमवार को ममता ने फेडरल फ्रंट का विचार दिया। अगले ही दिन मंगलवार को ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने इसमें शामिल होने का एलान कर दिया।

इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा व राजग से नाता तोड़ने पर आमादा देख जदयू महासचिव केसी त्यागी ने बुधवार को ही कोलकाता जाकर ममता के ंफेडरल फ्रंट में मजबूती की हवा दे दी थी। जदयू अध्यक्ष शरद यादव कह भी चुके हैं कि त्यागी को उन्होंने ही ममता के पास भेजा था। गुरुवार को तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू ने तीसरे मोर्चे की जरूरत पर जोर दिया। इस बीच, शुक्रवार को ही वामदलों ने तेजी से मजबूत हो रहे तीसरे मोर्चे में सेंध लगाने का काम शुरू कर दिया।

शुक्रवार को शरद यादव की माकपा नेता सीताराम येचुरी से फोन पर बातचीत हुई और येचुरी उनसे मिलने उनके घर पहुंच गए। सूत्रों की मानें तो माकपा नेता प्रकाश करात ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी फोन पर बात की है। इस राजनीतिक हलचल के बीच ही भाकपा महासचिव एबी बर्धन व सचिव अतुल अंजान ने मुलायम के घर पहुंचकर तीसरी ताकत खड़ी करने पर लंबी मंत्रणा कर डाली। इस मुलाकात के बाद बर्धन ने कहा, 'देश में गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा राजनीति के लिए तीसरी ताकत के मसले पर मुलायम से अच्छी बातचीत हुई है। वह भी इस जरूरत को महसूस करते हैं। वह हमारी बातों से सहमत हैं। इस बातचीत के सकारात्मक संकेत हैं।' गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के समय ममता और मुलायम में संप्रग के खिलाफ साझा रुख रखने पर सहमति बनी थी, लेकिन बाद में सपा प्रमुख ने संप्रग प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी का ही समर्थन कर दिया था।

बर्धन ने यह भी बताया कि उनकी बातचीत ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी हुई है। उन्होंने वाम विचाराधारा वाले मोर्चे के साथ चलने का भरोसा दिया है। उन्होंने बताया कि अब वह फेडरल फ्रंट के साथ नहीं जाएंगे। भाजपा व राजग से नाता तोड़ने के बाद जदयू के इस नए मोर्चे में शामिल होने के सवाल पर भाकपा नेता ने कहा कि अगर नीतीश भाजपा से अलग होते हैं, तो वामदलों को कोई दिक्कत नहीं। उनको भी साथ लेने पर विचार हो सकता है।

बर्धन ने यह भी कहा, 'हो सकता इस मोर्चे की पक्षधर पार्टियां लोकसभा चुनाव में आपसी समझ या उसके बिना भी अपने-अपने बूते ही चुनाव लड़ें, लेकिन चुनाव बाद वह सब एक साथ हो जाएं।'

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