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    विध्वंसक राजनीति छोड़ मिल-जुलकर काम करने का वक्त : अरुण जेटली

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Wed, 09 Mar 2016 09:14 AM (IST)

    संसद में प्रमुख विधेयकों के अटके रहने के चलते वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष से विध्वंसक राजनीति छोड़ने की अपील की है।

    नई दिल्ली । संसद में प्रमुख विधेयकों के अटके रहने के चलते वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष से विध्वंसक राजनीति छोड़ने की अपील की है। जेएनयू, असहिष्णुता, तेल की कीमतें और काले धन पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हमलों का जवाब देते हुए जेटली ने विपक्ष का सहयोग मांगा है।

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    अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा में अपने 45 मिनट के भाषण में कहा, 'अब वक्त आ गया है जब हमें विध्वंसक राजनीति की जरूरत नहीं है। हमारा रवैया मिलजुलकर काम करने का होना चाहिए। इसी भावना के साथ इस सरकार को काम करने की आवश्यकता है।' विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र इतना कमजोर नहीं है कि सरकार के हरेक फैसले से उसे खतरा हो जाएगा।

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    जेटली ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी के सभी आरोपों को खारिज कर करारा जवाब दिया। जेएनयू पर प्रकरण पर जेटली ने कहा कि सरकार को किसी छात्र विशेष से कोई दिक्कत नहीं है। कन्हैया कुमार का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को देश तोड़ने की वकालत नहीं करने दी जा सकती है। उन्होंने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि मुख्यधारा के राजनीतिक दल जैसे कांग्रेस को ऐसे लोगों के खिलाफ सबसे आगे खड़े होना चाहिए। कृपया ऐसा कुछ न करें जिससे ऐसे लोगों को इज्जत मिले।'

    विदेश से लाए काले धन पर उन्होंने कहा कि बैंक खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने की एक प्रक्रिया है। अगर हम उसे अभी सार्वजनिक कर देंगे तो इससे खाताधारक को ही फायदा होगा। सूचना के आदान-प्रदान पर पिछली सरकार की संधियों में शर्त लगाई गई हैं कि नाम तभी सार्वजनिक किए जाएं जब खाताधारक के खिलाफ केस दर्ज हो। तो आरोपी की मदद करने का यही तरीका है कि उस संधि को तोड़ दिया जाए। इसलिए हम कड़ाई से शर्तों का पालन करेंगे।

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    उन्होंने तेल की घटती कीमत का लाभ जनता तक न पहुंचाने के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि किसी ने आपके नेता (राहुल) को समझा दिया है कि हिसाब-किताब लिफाफे के पिछले हिस्से पर करना चाहिए। तेल के लाभ का बड़ा हिस्सा उपभोक्ताओं को दिया गया है। कुछ घाटे में चल रही तेल कंपनियों को दिया और कुछ हिस्सा ग्रामीण इलाकों में आधारभूत ढांचे के लिए निवेश किया गया है।

    जेटली ने कहा, 'हम पहली बार पाकिस्तान को विवश कर रहे हैं कि वह माने कि अपनी जमीन से उसने भारत में हमला कराया है।' शर्म अल शेख प्रकरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आपने आतंकवाद खत्म करने की शर्त लगाए बगैर ही उससे बातचीत शुरू कर दी थी।