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केजरी से टूट रहा कुमार का विश्वास

अमेठी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ ताल ठोक रहे आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार कुमार विश्वास पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से नाराज हैं। विश्वास को शिकायत है कि चुनाव प्रचार में उन्हें पार्टी और इसके नेता का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा। जबकि दूसरी तरफ पार्टी नेतृत्व भी संघ और भाजपा से उनकी नजदीकी

By Edited By: Published: Fri, 25 Apr 2014 09:19 PM (IST)Updated: Sat, 26 Apr 2014 11:25 AM (IST)
केजरी से टूट रहा कुमार का विश्वास

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेठी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ ताल ठोक रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुमार विश्वास पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से नाराज हैं। विश्वास को शिकायत है कि चुनाव प्रचार में उन्हें पार्टी और इसके नेता का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा। जबकि दूसरी तरफ पार्टी नेतृत्व भी संघ और भाजपा से उनकी नजदीकी को लेकर बेहद आशंकित है।

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पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव के मैदान में सबसे पहले मैदान में उतारे गए कुमार विश्वास ने अपने चुनाव क्षेत्र में तो जमकर मेहनत की है, लेकिन अब वे अपनी ही पार्टी के रवैये से नाराज हैं। पिछले कुछ दिनों से भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और भाजपा को निशाना बनाने के चक्कर में 'आप' ने कांग्रेस के कुशासन को पूरी तरह भुला दिया है। विश्वास चाहते हैं कि पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी और उनके परिवार पर पहले की तरह रोजाना प्रहार करें और बनारस की बजाय अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति वाली उनकी सीट अमेठी पर ध्यान लगाएं। विश्वास के करीबी सहयोगियों के मुताबिक अब तो उन्हें यह भी लगने लगा है कि पार्टी चाहती ही नहीं कि वे यहां से जीतें।

उधर, संघ परिवार को लेकर विश्वास की नरमी ने पार्टी में भी उनके प्रति संदेह खड़ा कर दिया है। पार्टी के एक बड़े नेता तो दावा करते हैं कि उन्हें इस बात की खबर है कि विश्वास अभी से भाजपा के संपर्क में हैं। वह तो यहां तक कहते हैं कि पार्टी में अब इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि विश्वास किसी तरह चुनाव जीत भी गए तो कहीं भाजपा के साथ न जा मिलें। नाम नहीं छापने की शर्त पर वह कहते हैं कि पार्टी ने बहुत सोच-विचार कर तय किया है कि अब इसका पहला निशाना भाजपा और मोदी होंगे। क्योंकि कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार की बात को अब साबित करने की जरूरत नहीं रह गई। इसके बावजूद अगर पार्टी का कोई नेता खुले आम भाजपा को बेहतर बताता है तो संदेह होना स्वाभाविक है।

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