जानिए, पीएम मोदी के बेहतरीन भाषण के पीछे की दिलचस्प कहानी
एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि पीएम के ऐसे ओजस्वी भाषण के शब्द कौन लिखता है?
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह उनकी प्रभावशाली वाकपटुता भी है। अमेरिकी कांग्रेस में दिया पीएम मोदी का भाषण हो या अन्य अवसरों पर जनता से सीधा संबोधन, उनके भाषणों की तासीर खुद-ब-खुद लोगों को अपनी ओर खींच लेती है। हकीकत कुछ और है, पीएम मोदी के मुंह से निकलने वाले शब्द उनके नहीं, बल्कि कई लोगों के विश्लेषण से पैदा होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषण देने की कला के मुरीद उनके विरोधी भी हैं। पिछले अमेरिकी दौरे में पीएम ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने भाषण दिया था, जिसकी सराहना विश्व भर में हुई। पीएम मोदी के इस वक्तव्य में आत्मविश्वास से साथ भविष्य को लेकर स्पष्ट और सटीक नजरिया भी देखने मिला था। एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि पीएम के ऐसे ओजस्वी भाषण के शब्द कौन लिखता है?
पढ़ेंः 'फोन है ज्यादा जरूरी तो मीटिंग से रहें बाहर', मंत्रियों को PM की फटकार
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक सामाजिक विश्लेषक शिव विश्वनाथन प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को पूरी तरह से टीम वर्क मानते हैं। विश्वनाथन कहते हैं, 'प्रधानमंत्री मोदी के भाषण कई सूत्रों से मिलकर बने हैं। इनमें पार्टी यूनिट से लेकर मंत्रियों और विषय के विशेषज्ञों को इनपुट रहता है। साथ ही विदेशों में बसे भारतीयों के नजरिए को भी इसमें कई बार शामिल किया जाता है। साथ ही इसके लिए पीएम मोदी की एक समर्पित टीम भी है।
शिव विश्वनाथन इस टीम प्रयास के लिए सराहना करते हुए कहते हैं कि इतने लोगों की मेहनत को प्रधानमंत्री मोदी अपने वक्तव्य कला से एक नया कलेवर देते हैं। विश्वनाथन ने मोदी की सामाजिक छवि का विस्तृत अध्ययन किया है और वह कहते हैं कि मोदी के लिए स्टेज के पीछे काम करने वाले लोग भी शानदार प्रदर्शन के लिए ऑस्कर डिजर्व करते हैं।'
पढ़ेंः अब 7 जुलाई से चार अफ्रीकी देशों की यात्रा पर निकलेंगे पीएम मोदी
नेताअों के व्यक्तित्व के अाधार पर तय होता है भाषण
नेताओं के भाषण लिखने की भूमिका खुद उनके व्यक्तित्व के आधार पर बनती है। नेताओं के व्यक्तित्व के आधार पर यह तय किया जाता है कि भाषण का स्वरूप औपचारिक रखा जाए अथवा जनता के लिए याद रखने लायक। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण आम तौर पर जनता के बीच बहुत लोकप्रिय रहते हैं। 2013 में जब वह भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित भी नहीं किए गए थे, उस वक्त भी उनके भाषण जोरदार हुआ करते थे। उन्होंने 2013 में स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण में कहा था कि उनके भाषण की तुलना तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण से की जाएगी।
एेसे तैयार होता था मनमोहन, अटल अौर राजीव गांधी का भाषण
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नैसर्गिक वक्ता नहीं थे, लेकिन कुछ मुद्दों पर वह अपनी राय रखते थे। यूपीए के पहले कार्यकाल में उनके मीडिया सलाहकार संजय बारू का कहना है कि चार साल तक सिंह के मीडिया सलाहकार के तौर पर उन्होंने उनके लिए 1000 से अधिक भाषण लिखे थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भाषण लिखने वाले सुधींद्र कुलकर्णी कहते हैं कि एक अच्छा नेता अपने भाषण में अपने विचारों को जरूर समाहित करते हैं।
कुलकर्णी कहते हैं, 'पीएमअो प्रधानमंत्री के भाषण तैयार करने के लिए कई जगहों से इनपुट लेते हैं। अक्सर प्रधानमंत्री खुद उनमें कुछ विचार और बिंदू शामिल करने के सुझाव देते हैं।' राजीव गांधी के लिए भाषण लिखने वाले एक शख्स ने कहा, 'खुद राजीव गांधी अपने भाषण के लिखने और तैयार करने में बेहद दिलचस्पी लेते थे।' पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने कहा कि एक बार लोन से संबंधित विषय के लिए जब मैं भाषण लिख रहा था तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसमें ऑलिवर गोल्डस्मिथ के कुछ लाइन खुद जोड़े।
पढ़ेंः पीएम की नसीहत पर स्वामी के बदले सुर, अब मीडिया पर फोड़ा ठीकरा