जानिए, कौन हैं हाशिम अंसारी, क्यों रहे चर्चा में
हाशिम अंसारी 1949 से बाबरी मस्जिद के लिए पैरवी कर रहे हैं। हाशिम अंसारी का बुधवार को तड़के इंतकाल हो गया।
नई दिल्ली। हाशिम अंसारी उस अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार है जिस पर मालिकाना हक को लेकर पिछले कई वर्षों से अदालत में मामला लंबित है। 94 साल के हाशिम अंसारी पिछले साठ सालों से बाबरी मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अंसारी 1949 से बाबरी मस्जिद के लिए पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को अंतिम सांस ली।
जानिए, कौन हैं हाशिम अंसारी, क्यों रहे चर्चा में, देखे तस्वीरें
हाशिम अंसारी का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है। हाशिम साल 1921 में पैदा हुए लेकिन जब वे सिर्फ ग्यारह साल के थे कि सन् 1932 में उनके पिता की मृत्यु हो गई।
कौन हैं हाशिम अंसारी?
हाशिम ने महज दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की और फिर सिलाई यानी दर्जी का कम करने लगे। बाद में उनकी शादी पास ही के जिले फैजाबाद में हुई। अंसारी के दो बच्चे हुए एक बेटा और एक बेटी। हामिद अंसारी के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं रही।
हाशिम के मुताबिक 1934 का बलवा भी उन्हें याद था, जब हिंदू वैरागी संन्यासियों ने बाबरी मस्जिद पर हमला बोला था। उनके मुताबिक ब्रिटिश हुकूमत ने सामूहिक जुर्माना लगाकर मस्जिद की मरम्मत कराई थी और जो लोग मारे गए उनके परिवारों को मुआवज़ा दिया था।
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सन 1949 में जब विवादित मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखी गई, उस समय प्रशासन ने शांति व्यवस्था के लिए जिन लोगों को गिरफ़्तार किया, उनमे हाशिम भी शामिल थे।
हाशिम का कहना है कि क्योंकि उनका सभी के साथ सामाजिक मेलजोल था इसलिए लोगों ने उनसे मुकदमा करने को कहा और इस तरह वो बाबरी मस्जिद का पैरोकार बन गए। बाद में 1961 में जब सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने मुक़दमा किया तो उसमे भी हाशिम एक मुद्दई बने। पुलिस प्रशासन की सूची में नाम होने की वजह से 1975 की इमरजेंसी में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें आठ महीने तक बरेली सेंट्रल जेल में रखा गया।
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6 दिसंबर, 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया लेकिन अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को दंगाईयों की भीड़ से बचाया। इस घटना के बाद हामिद अंसारी को सरकार की तरफ से जो कुछ मुअावजा मिला उससे उन्होंने अपने छोटे से घर को दोबारा बनवाया और एक पुरानी अंबेसडर कार खरीदी।
मरने से पहले हाशिम अंसारी ने कहा था कि वो फैसले का भी इंतजार कर रहे हैं और मौत का भी, लेकिन वो चाहते हैं कि मौत से पहले बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का फैसला देख लें।