जानिए, पोखरण का वो पहला परीक्षण जिससे दहल उठी थी दुनिया
गोपनीय तरीके से पोखरण में किए गए पहले परमाणु परीक्षण के लिए रखे गए इस नाम की अलग वजह है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। 18 मई 1974... ये वो तारीख है जो भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज है। हिन्दुस्तान ने इस दिन परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को हिला दिया था। पोखरण में हुए इस परीक्षण के बाद भारत दुनिया के ताकतवर देशों की कतार में खड़ा हो गया। उस वक्त भारत से पहले इस तरह का परमाणु परीक्षण सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी देशों ने ही किया था। इस ऑपरेशन में नाम रका गया था- स्माइलिंग बुद्धा।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुआ था पहला पोखरण परीक्षण
हालांकि, गोपनीय तरीके से पोखरण में किए गए पहले परमाणु परीक्षण के लिए रखे गए इस नाम की अलग वजह है। पहला कारण तो यह कि जिस दिन यह परीक्षण किया गया उस दिन बुद्ध पूर्णिमा थी और दूसरी वजह ये कि भारत इस परीक्षण के जरिए दुनिया में शांति का संदेश देना चाहता था।
पहले पोखरण परीक्षण के बाद लगे कई प्रतिबंध
'पोखरण में भारत की तरफ से किए गए पहले परीक्षण के बाद जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे शांतिपूर्ण परीक्षण करार दिया तो वहीं दूसरी तरफ बौखलाए अमेरिकी ने भारत को परमाणु सामग्री और ईंधन की आपूर्ति पर रोक लगा दी।
दरअसल, इंदिरा गांधी ने साल 1972 में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) का दौरा करते हुए वहां के वैज्ञानिकों को परमाणु परीक्षण के लिए संयंत्र बनाने की इजाजत दी थी,लेकिन गांधी की ये इजाजत मौखिक थी। परीक्षण के दिन से पहले तक इस पूरे ऑपरेशन को गोपनीय रखा गया था। यहां तक कि अमेरिका को भी इसकी कोई जानकरी नहीं लग पाई। इस गोपनीय प्रोजेक्ट पर काफी वक्त से एक पूरी टीम काम कर रही थी।
1967 से लेकर 1974 तक 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने सात साल कड़ी मेहनत की। इस प्रोजेक्ट की कमान बीएआरसी के निदेशक डॉ. राजा रमन्ना थे। रमन्ना की टीम में उस वक्त एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे जिन्होंने 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण की टीम का नेतृत्व किया था. इस प्रोजेक्ट का कोड वर्ड ‘बुद्धा इज स्माइलिंग’ था।
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