चरमपंथियों की मांग पूरी करने के बाद चर्चित हुए थे मुफ्ती
पीडीपी नेता मुफ्ती मुहम्मद सईद ने आज राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। सईद दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। 1989 में जब चरमपंथियों ने मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी डॉ रूबिया सईद का अपहरण किया था तो मुफ्ती मुहम्मद सईद का नाम सबसे ज्यादा चर्चा
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की जनता का इंतजार आज खत्म हो गया और राज्य को नई सरकार मिल गई। पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आज राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। सईद दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। इससे 10 साल पहले वह पहली बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने थे। 1971 में सईद पहली बार मंत्री बने थे।
नाम : मुफ्ती मोहम्मद सईद
पिता का नामः मुफ्ती गुलाम मोहम्मद
जन्म : 12 जनवरी 1936, अनंतनाग
शौक : गोल्फ खेलना
मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू एण्ड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष हैं। वे भारत के गृहमंत्री भी रह चुके हैं। इस पद को धारण करने वाले वे पहले मुस्लिम भारतीय थे। 2014 के चुनावों में वे अनन्तनाग सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हिलाल अहमद शाह को 6028 वोटों के अंतर से हराकर विधायक निर्वाचित हुए।
मुफ्ती मोहम्मद के खिलाफ विवाद
भारत प्रशासित कश्मीर में 1989 में जब चरमपंथियों ने मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ रूबिया सईद का अपहरण किया था तो मुफ्ती मोहम्मद सईद का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आया था। उस समय वे भारत के गृहमंत्री थे। तब रूबिया को चरमपंथियों से छुड़ाने के लिए उनकी मांगें मानने के लिए मुफ्ती मोहम्मद सईद की काफी आलोचना हुई थी।
कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि अगर उस समय भारत सरकार ने चरमपंथियों के सामने घुटने नहीं टेके होते तो कश्मीर में चरमपंथी गतिविधियां इतनी नहीं बढ़तीं।
मुफ्ती मोहम्मद का करियर
मुफ्ती मोहम्मद सईद का जन्म 12 जनवरी 1936 को हुआ था और 1950 में वे नेशनल कान्फ्रेंस में राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए थे। लेकिन नेशनल कान्फ्रेंस से जल्दी ही उनका मोहभंग हो गया और वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
जम्मू कश्मीर में नेशनल कान्फ्रेंस के सामने कांग्रेस को एक नई राजनीतिक शक्ति के रूप में खड़ा करने में मुफ्ती सईद ने अहम भूमिका अदा की। सईद 1971 में राज्य में कांग्रेस सरकार में पहली बार मंत्री बने लेकिन ये दौर बहुत छोटा चला क्योंकि अगले दो चुनावों में उन्हें जीत नहीं मिल सकी।
सईद ने फिर की वापसी
मुफ्ती मोहम्मद को लंबे समय तक जीत नहीं मिल सकी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 1989 में जम्मू कश्मीर से बाहर निकल कर राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर पहुंचे। उस साल वे देश के पहले मुस्लिम गृहमंत्री बने। लेकिन अपनी बेटी को चरमपंथियों के हाथों से छुड़ाने के लिए मुफ्ती सईद ने जो समझौता किया उस पर उनकी खासी आलोचना हुई। उनके कई आलोचक उन्हें अवसरवादी और समय समय पर अपनी प्रतिबद्धताएं बदलने वाला राजनीतिज्ञ भी कहते हैं।
अंत में अपनी पार्टी बनाई
नेशनल कान्फ्रेस के साथ उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरु किया लेकिन जल्दी ही उसे छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। वहां भी जब ज्यादा दिन तक कामयाबी नहीं मिली तो जनता दल का दामन पकड़ा लेकिन उसे भी छोड़कर कांग्रेस में वापस आ गए।
आखिरकार कांग्रेस एक बार फिर छोड़ी और पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नाम से एक नई पार्टी बनाई। हाल के चुनावों में पीडीपी एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में उभरी है। लेकिन पीडीपी को इस मुकाम पर लाने में मुफ्ती सईद की एक अन्य बेटी महबूबा मुफ्ती की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
महबूबा मुफ्ती ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित किया और चुनाव अभियान का रचनात्मक नेतृत्व किया जिससे पीडीपी महत्वपूर्ण संख्या के आंकड़े पर पहुंची। हालांकि सरकार बनने के बाद भी महबूबा मुफ्ती को सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई।
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