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दिल्ली की सीएम नहीं बनना चाहतीं किरण बेदी

दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार करार दी जाने वाली देश की पहली महिला आइपीएस अधिकारी किरण बेदी ने दो टूक कहा है कि उनका सियासत से कोई लेना-देना नहीं है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Tue, 16 Dec 2014 08:15 AM (IST)Updated: Tue, 16 Dec 2014 09:05 AM (IST)
दिल्ली की सीएम नहीं बनना चाहतीं किरण बेदी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार करार दी जाने वाली देश की पहली महिला आइपीएस अधिकारी किरण बेदी ने दो टूक कहा है कि उनका सियासत से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के कयासों तक को खारिज कर दिया है।

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सनद रहे कि सूबे के सियासी गलियारों में यह चर्चा रही है कि अन्ना आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी बेदी को भाजपा अपने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है। इस संभावना पर दिल्ली के भाजपा नेता अब भी इन्कार नहीं करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि बेदी के आ जाने से भाजपा को एक प्रखर चेहरा मिल जाएगा और वह आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ज्यादा बेहतर लहजे में जवाब दे सकेंगी। परंतु ऐसा लगता है कि भाजपा और बेदी के बीच बात बन नहीं पाई है।

दिल्ली में अपनी सियासी पारी शुरू करने के लेकर पूछे जाने पर बेदी ने साफ कहा कि उन्हें राजनीति की बिल्कुल भी समझ नहीं है, लिहाजा वह इससे दूर ही रहना चाहती हैं। उनके भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी प्रोजेक्ट किए जाने की अटकलों को भी उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उनका कहना था कि स्थितियों में कुछ सुधार तो जरूर आया है, लेकिन अभी सरकारी एजेंसियों को लगातार काम करने की जरूरत है।

आपको बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ व काला धन वापस लाने के मुद्दे पर प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन में बेदी भी बेहद सक्रिय थीं। अन्ना के मंच पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की तरह ही बेदी की भी मौजूदगी थी। इस आंदोलन के बाद राजनीतिक पार्टी बनाने के मुद्दे पर उनके केजरीवाल से मतभेद हो गए। बेदी ने अन्ना आंदोलन को राजनीतिक रंग देने की जोरदार मुखालफत की थी।

सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कोई कमी नहीं है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि बेदी को सामने लाकर भाजपा आम आदमी पार्टी की मुसीबत बढ़ा सकती थी। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि बेदी खुद भी उस आंदोलन का हिस्सा रही हैं, जिससे केजरीवाल या सिसोदिया निकले। बहरहाल, बेदी के ताजा तेवरों से साफ है कि वह विधानसभा के आगामी चुनाव में नहीं उतरने जा रही हैं।

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