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    केजरीवाल नहीं लेंगे जेड स्तर की सुरक्षा

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    Updated: Mon, 23 Dec 2013 10:15 PM (IST)

    आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर जेड स्तर की सुरक्षा और पीएसओ [पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर] लेने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि भगवान ही उनकी सबसे बड़ी सुरक्षा हैं। इससे पहले आठ दिसंबर को मतगणना वाले दिन भी जब आप को कई सीटें मिलने की घोषणा होने लगी थीं, तब उस दिन भी दिल्ली पुलिस के सिक्योरिटी विंग के आला अधिकारी ने उनके पास आकर सुरक्षा दिए जाने की बात कही थी।

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    नई दिल्ली [जासं]। आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर जेड स्तर की सुरक्षा और पीएसओ [पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर] लेने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि भगवान ही उनकी सबसे बड़ी सुरक्षा हैं। इससे पहले आठ दिसंबर को मतगणना वाले दिन भी जब आप को कई सीटें मिलने की घोषणा होने लगी थीं, तब उस दिन भी दिल्ली पुलिस के सिक्योरिटी विंग के आला अधिकारी ने उनके पास आकर सुरक्षा दिए जाने की बात कही थी। किंतु केजरीवाल ने एडिशनल पुलिस कमिश्नर वी रंगनाथन को धन्यवाद देते हुए सुरक्षा लेने से मना कर दिया था।

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    सोमवार को केजरीवाल ने खुद से मिलने पहुंचे पुलिस अधिकारी को सादे कागजों में लिखकर सुरक्षा लेने से मना करते हुए कहा कि वे केवल उनकी इतनी सहायता करवा दें कि जब भी वह भीड़भाड़ के बीच घिर जाएं तो उन्हें सुरक्षित निकलवा दें। केजरीवाल ने यह भी कहा कि उन्हें खुद भी पता नहीं कि उन्हें कब कहां जाना है। मुख्यमंत्रियों को प्रोटोकॉल के तहत जेड स्तर की सुरक्षा दी जाती है, जिसमें 22 पुलिसकर्मी होते हैं। उनके साथ एक स्कॉट गाड़ी चलती है, जिसमें करीब आधा दर्जन सुरक्षाकर्मी होते हैं। यातायात पुलिस को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बारे में पूर्व जानकारी देनी होती है ताकि वे उनके रूटों को क्लीयर रख सकें।

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    आप की प्राथमिकताएं

    -बिजली की दरें आधा करना और गलत बिलों को ठीक करने के लिए एक माह विशेष अभियान चलाना।

    -जनलोकपाल की तर्ज पर रामलीला मैदान में लोकायुक्त बिल पास करवाना।

    -सौ दिन के अंदर प्रति परिवार प्रतिदिन 700 लीटर पानी मुफ्त सुनिश्चित करना।

    -सौ दिन के भीतर पानी की दरों में बढ़ोतरी के प्रावधान को रद करना।

    -तीन माह के अंदर स्वराज कानून पास कर मोहल्ले के बारे में निर्णय लेने की शक्ति जनता को देना।

    प्रमुख चुनौतियां

    -कांग्रेस से तालमेल बिठा पाना आसान नहीं होगा, भाजपा का भी कड़ा विरोध झेलना पड़ेगा।

    -नौकरशाही से अपने अनुसार काम करवा पाना भी बड़ी चुनौती होगी।

    -आम जनता की बढ़ी हुई अपेक्षाओं पर खरा उतरना आसान नहीं होगा।

    -महंगाई पर काबू पाना चुनौती साबित होगी।

    -भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उखाड़ फेंकने में भी पेश आएंगी मुसीबतें।

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