कश्मीरी युवाओं का भला लैपटॉप से तो हो सकता है हाथों में पत्थर से नहीं: राजनाथ
गृहमंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि कश्मीर के युवाओं को भला लैपटॉप से तो हो सकता है लेकिन उनके हाथों में मौजूद पत्थर से उनका भला नहीं हो सकता है।
लखनऊ (जागरण संवाददाता), केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का मानना है कि कश्मीर समस्या का हल बंदूक से नहीं, बातचीत से ही संभव है। शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में छत्रपति शिवाजी की अश्वारोही मूर्ति का अनावरण करने के बाद उन्होंने कहा कि कुछ लोग निजी स्वार्थ के चलते मासूम बच्चों को पत्थरबाज बना रहे हैं। कश्मीरी बच्चों के हाथों में पत्थर नहीं, लैपटॉप होने चाहिए।
राजनाथ ने आज के दौर की राजनीति में गिरती नैतिकता पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि राजनीति अपना अर्थ खोती जा रही है। इसके लिए युवाओं को राजनीति में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत जाति, धर्म और मजहब के नाम पर हिंदुस्तान को बांट नहीं सकती।
गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर की जमीन ही नहीं, बल्कि वहां रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के प्रति प्रेम, मोहब्बत का जज्बा है। जब वहां की स्थिति देखते हैं तो मुझे ही नहीं प्रधानमंत्री को भी पीड़ा होती है। बच्चों के हाथ में पत्थर-हथियार नहीं, बल्कि कंप्यूटर व लैपटॉप होने चाहिए। ¨हसा या प्रदर्शन से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। कश्मीर के लोगों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
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उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को राष्ट्रनायक, वीरयोद्धा बताते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए युवाओं से अपील की। कहा कि शिवाजी कभी चुनौतियों से घबराए नहीं और दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से मुगलों पर विजय प्राप्त की। शिवाजी ने कभी हिन्दू और मुसलमान में भी भेद नहीं किया। उनकी सेना में मुसलमान भी थे।
गृहमंत्री ने जवानों पर हो रहे लगातार हमलों पर कहा कि जब भी सेना का कोई जवान घायल होता है तो हम रात में चैन से सो नहीं पाते हैं। सेना पर पत्थर चलाने से पहले समझना चाहिए कि बाढ़ के समय जवानों ने जान हथेली पर रखकर कश्मीरियों की जान बचाई थी।
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