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जस्टिस वर्मा के परिजनों ने ठुकराया पद्म सम्मान

भारत के पूर्व न्यायाधीश दिवंगत जस्टिस जेएस वर्मा के परिवार वालों ने पद्म सम्मान ठुकराकर इसकी चयन प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा दिया है। उनका आरोप है कि पुरस्कार की चयन प्रक्रिया के दौरान उनकी राय तक नहीं ली गई। जस्टिस वर्मा की पत्नी पुष्पा वर्मा के अनुसार, इस सम्मान को स्वीकार करना उनके पति के सिद्धांतों के खिलाफ होगा, क्यो

By Edited By: Published: Fri, 31 Jan 2014 09:20 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2014 09:23 PM (IST)
जस्टिस वर्मा के परिजनों ने ठुकराया पद्म सम्मान

नई दिल्ली। भारत के पूर्व न्यायाधीश दिवंगत जस्टिस जेएस वर्मा के परिवार वालों ने पद्म सम्मान ठुकराकर इसकी चयन प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा दिया है। उनका आरोप है कि पुरस्कार की चयन प्रक्रिया के दौरान उनकी राय तक नहीं ली गई। जस्टिस वर्मा की पत्नी पुष्पा वर्मा के अनुसार, इस सम्मान को स्वीकार करना उनके पति के सिद्धांतों के खिलाफ होगा, क्योंकि उन्होंने इस तरह के सम्मान के लिए न तो कभी लॉबींग की और न ही कभी ऐसी लालसा रखी। गृह मंत्रालय के अधिकारी भी पुरस्कार की घोषणा के पहले उनके परिवार को सूचित नहीं कर पाने की गलती मान रहे हैं।

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दिल्ली दुष्कर्म कांड के बाद महिलाओं के सुरक्षा के कड़े प्रावधानों की सिफारिश करने करने वाले जस्टिस वर्मा को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ था। लेकिन पुरस्कार की घोषणा के चार दिन बाद उनके परिवार के सम्मान लेने से इन्कार के फैसले ने गृह मंत्रालय को सकते में डाल दिया है। पुष्पा वर्मा ने 29 जनवरी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लिखे पत्र में कहा कि महिलाओं, युवाओं व जरूरतमंद देशवासियों के दिल और दिमाग में वह (जस्टिस वर्मा) किस तरह बने रहते हैं, उनके लिए वही सबसे बड़ा सम्मान होगा।

वहीं जस्टिस वर्मा की बेटी शुब्रा वर्मा सम्मान ठुकराने के पीछे सरकार द्वारा समय पर सूचित नहीं किए जाने की ओर संकेत किया है। उनके मुताबिक, इस महीने के शुरुआत में गृह मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने जस्टिस वर्मा के गृह नगर सतना (मध्य प्रदेश) का दौरा कर उनके बारे में जांच पड़ताल की थी। पूछे जाने पर अधिकारियों ने जस्टिस वर्मा को मरणोपरांत पद्म सम्मान के लिए चुने जाने की बात कही।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 25 जनवरी को देर शाम पद्म पुरस्कारों की घोषणा के पहले दिनभर इन्हें पाने वालों को फोन कर सूचना दी जाती रही। लेकिन किसी कारण से जस्टिस वर्मा के परिवार से संपर्क नहीं किया जा सका। वैसे उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पुरस्कार की घोषणा के पहले सूचित करना अनिवार्य नहीं है। केवल विवाद से बचने के लिए यह प्रक्रिया शुरू की गई थी।

वैसे पद्म पुरस्कार ठुकराने के पीछे जस्टिस वर्मा की पिछले साल 22 अप्रैल को हुई मौत के लिए एक निजी अस्पताल की लापरवाही की जांच नहीं करना भी अहम कारण माना जा रहा है। जस्टिस वर्मा की पत्नी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग की थी। लेकिन उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।

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