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अमेरिका से रिश्तों में डब्लूटीओ की बाधा

भारत और अमेरिका के सुस्त पडे़ द्विपक्षीय रिश्तों में नई जान फूंकने की दोनों ओर से हो रही कवायदों के बीच डब्ल्यूटीओ में भारत के सख्त रुख ने बाधा डाल दी है। भारत ने डब्ल्यूटीओ में अमेरिका और अन्य विकसित देशों के खिलाफ तब वीटो पावर का इस्तेमाल किया है, जब खुद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी नई दिल्ली में मौजूद हैं। शुक्रवार को केरी और अमेरिकी व्यापार मंत्री पेनी प्रिट्जकर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में यह मुद्दा छाया रहा।

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 12:39 PM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 08:19 AM (IST)
अमेरिका से रिश्तों में डब्लूटीओ की बाधा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के सुस्त पडे़ द्विपक्षीय रिश्तों में नई जान फूंकने की दोनों ओर से हो रही कवायदों के बीच डब्ल्यूटीओ में भारत के सख्त रुख ने बाधा डाल दी है। भारत ने डब्ल्यूटीओ में अमेरिका और अन्य विकसित देशों के खिलाफ तब वीटो पावर का इस्तेमाल किया है, जब खुद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी नई दिल्ली में मौजूद हैं। शुक्रवार को केरी और अमेरिकी व्यापार मंत्री पेनी प्रिट्जकर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में यह मुद्दा छाया रहा।

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केरी के साथ आए प्रतिनिधिमंडल को मोदी ने स्पष्ट तौर पर बता दिया कि डब्ल्यूटीओ में भारत का रुख देश के गरीब नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है। मोदी ने कहा कि विकसित देशों को यह समझना चाहिए कि विकासशील देशों के सामने गरीबी बहुत ही बड़ी चुनौती है और इसका ध्यान रखना सरकारों की जिम्मेदारी है। माना जा रहा है कि मुलाकात के दौरान केरी ने भी भारत के कड़े रवैये और डब्ल्यूटीओ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार को बढ़ावा देने वाले ट्रेड फैसिलिटेशन समझौते (टीएफए) के खिलाफ वीटो के इस्तेमाल पर नाखुशी जाहिर की है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, केरी ने प्रधानमंत्री मोदी को यह बताया है कि भारत का रवैया गलत संकेत भेज रहा है। इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द खोजने की कोशिश की जानी चाहिए। अधिकारी का यह भी कहना है कि भारत का कदम पूरी दुनिया को भ्रामक संकेत दे रहा है। खासतौर पर तब जब प्रधानमंत्री मोदी खुद भारत की एक अलग छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

मोदी सितंबर के अंत में अमेरिका दौरे पर जाने वाले हैं। यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए ही केरी भारत आए हैं। भारत ने केरी के नई दिल्ली में रहते हुए ही जेनेवा में डब्ल्यूटीओ की बैठक में खाद्य सब्सिडी पर वैश्विक समझौते के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर दिया। कुछ गिने चुने देशों के अलावा डब्ल्यूटीओ के अधिकांश सदस्य राष्ट्र इस समझौते के पक्ष में है। अमेरिका खासतौर पर इस समझौते की पैरवी कर रहा था। वह भारत को मनाने में भी जुटा था, लेकिन मोदी सरकार ने किसी भी दबाव में झुकने से साफ मना कर दिया है। अब भारत-अमेरिका रिश्तों की दशा व दिशा इससे ही तय होगी कि मोदी सरकार आने वाले दिनों में डब्ल्यूटीओ से जुड़े इस मुद्दे पर कैसा रुख अपनाती है। हालांकि, शुक्रवार की बैठक में दोनों पक्षों ने एक बार फिर एक-दूसरे से रिश्ते की अहमियत दोहराई है।

केरी ने मोदी को बताया कि राष्ट्रपति ओबामा भारत के साथ रिश्ते को वरीयता देते हैं। मोदी ने भी अपनी तरफ से द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊंचाई देने की बात कही है। इसके बावजूद तय है कि मोदी की अमेरिका यात्रा में भी डब्ल्यूटीओ मुद्दा छाया रहेगा।

'विकसित देशों को विकासशील राष्ट्रों में गरीबी की समस्या और उसके प्रति सरकारों की जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।'

-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

'भारत ने डब्ल्यूटीओ में टीएफए के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर गलत संकेत दिए हैं।'

-जॉन केरी, अमेरिकी विदेश मंत्री

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