Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जदयू ने अपने पांच सांसदों को दिखाया बाहर का रास्ता

    By Edited By:
    Updated: Thu, 27 Feb 2014 11:40 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम चुनाव से पहले बिहार में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच जनता दल-यू ने गुरुवार को अपने पांच सांसदों को निष्कासित कर दिया। जदयू से नाराज चल रहे ये सभी नेता भाजपा या राजद की ओर देख रहे थे। लेकिन उनके पार्टी छोड़ने के पहले ही शीर्ष नेतृत्व ने सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने पांचों नेताओं को बाहर कर दिया है।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम चुनाव से पहले बिहार में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच जनता दल-यू ने गुरुवार को अपने पांच सांसदों को निष्कासित कर दिया। जदयू से नाराज चल रहे ये सभी नेता भाजपा या राजद की ओर देख रहे थे। लेकिन उनके पार्टी छोड़ने के पहले ही शीर्ष नेतृत्व ने सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने पांचों नेताओं को बाहर कर दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाल में राजद विधायक दल में हुई टूट से जदयू को बल मिला था। लेकिन लोकसभा चुनाव से पूर्व जदयू सांसद शिवानंद, सुशील, पूर्णमासी, निषाद व मंगनी लाल के पार्टी से अलग होने से चुनावी तैयारियों को झटका लगा है। ये सांसद पहले से ही अलगाव की कगार पर खड़े थे। औरंगाबाद सांसद सुशील सिंह लगातार भाजपा के संपर्क में थे। जबकि मुजफ्फरपुर के सांसद जयनारायण निषाद भी बागी रुख दिखा चुके थे।

    पूर्णमासी राम व मंगनीलाल मंडल के खिलाफ पहले भी पार्टी ने सदस्यता रद करने का निवेदन लोक सभाध्यक्ष से किया था। हालांकि बाद में इसे वापस ले लिया था और मंगनी लाल के कदम राजद की ओर बढ़ चुके थे।

    इनके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी व राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी ने कुछ माह पहले पार्टी की बैठक में नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। इससे नाराज जदयू ने उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा। इस पर तिवारी ने भी कड़ा रुख दिखाते हुए नीतीश कुमार को तानाशाह करार दिया था। उन्होंने राजद विधायकों में टूट के लिए भी मुख्यमंत्री को ही जिम्मेदार ठहराया था। लिहाजा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सभी बागी सांसदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।