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    तमिलनाडुः जयललिता ने दोहराई 80 के दशक की कहानी

    By anand rajEdited By:
    Updated: Thu, 19 May 2016 04:09 PM (IST)

    राज्‍य में सत्‍ता की अदला-बदली की परंपरा को तोड़ते हुए जयललिता ने लगातार दूसरी बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर कब्‍जा जमाने की पूरी तैयारी कर ली है।

    नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनाव के बाद गुरुवार को हुई मतगणना में अम्मा ने इतिहास रच दिया है। राज्य में सत्ता की अदला-बदली की परंपरा को तोड़ते हुए जयललिता ने लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा जमाने की पूरी तैयारी कर ली है। अब आए रूझानों/नतीजों के अनुसार जयललिता की पार्टी एआईडीएमके को राज्य में 135 सीटें मिल रहीं हैं जबकि करुणानिधि की डीएमके केवल 77 पर सिमटती दिख रही है।

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    तमिलनाडु में जीत की राह पर फिर लौटीं जयललिता ने जनता को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जनता ने मुझ पर एक बार फिर भरोसा दिखाया है। इसके लिए मैं तमिलनाडु की जनता का दिल से शुक्रिया अदा करती हूंं।उन्होंने कहा कि द्रमुक परिवार की राजनीति का अंत हो गया है।

    अम्मा ने कहा कि झूठे प्रचार ने डीएमके को हराया है। जनता ने विपक्षी के पारिवारिक राजनीति को ठुकरा दिया है।

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    रूकी सत्ता की अदला-बदली

    अस्सी के दशक में एमजेआर ने सत्ता बचाई थी। उसके बाद 1967 से लेकर अब तक डीएमके और एआईएडीएमके ने सत्ता बांटी है। 1989 से तो यह सिलसिला बन गया है कि एक बार एम. करुणानिधि और दूसरी बार जे. जयललिता सीएम बन रही हैं। इन दोनों नेताओं के लिए इस बार लड़ाई बहुत बड़ी है, क्योंकि दोनों की उम्र जवाब देने लगी है। जयललिता 68 वर्ष की हैं, वहीं करुणा तो उम्र के 92 वसंत पूरे कर चुके हैं।

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    (पिछले दस मुख्यमंत्री)

    1. एम. करुणानिधि (27 जनवरी 1989 से 30 जनवरी 1991)

    2. जे. जयललिता (24 जून 1991 से 12 मई 1996 )

    3. एम. करुणानिधि (13 मई 1996 से 13 मई 2001)

    4. जे. जयललिता (14 मई 2001 से 21 सितंबर 2001)

    5. ओ. पन्नीरसेलवम (21 सितंबर 2001 से 1 मार्च 2002)

    6. जे. जयललिता (2 मार्च 2002 से 12 मई 2006)

    7. एम. करुणानिधि (13 मई 2006 से 15 मई 2011)

    8. जे. जयललिता (16 मई 2011 से 27 सितंबर 2014)

    9. ओ. पन्नीरसेलवम (29 सितंबर 2014 से 22 मई 2015)

    10. जे. जयललिता (23 मई 2015 से अब तक)

    (आय से अधिक सम्प्तति मामले में जया को जब-जब पद छोड़ना पड़ा, पन्नीरसेलवम ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली।)

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    कड़ा मुकाबला नहीं कर पाया तीसरा मोर्चा

    यूं तो मुकाबला साफतौर पर डीएमके और एआईएडीएमके के बीच ही थी, लेकिन तीसरा मोर्चा भी मैदान में था, जिसकी अगुवाई डीएमडीके के कैप्टन विजयकांत कर रहे थे। चार अन्य छोटी पार्टियों के साथ मिलकर उन्होंने पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट बनाया था। कैप्टन विजयकांत ही इसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार था।

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