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    सिने तारिका से राजनेता तक के सफर में जया ने देखे हैं काफी उतार चढ़ाव

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    Updated: Sat, 27 Sep 2014 06:01 PM (IST)

    चेन्नई। एक शर्मीली सिने तारिका से तीन बार मुख्यमंत्री चुने जाने तक का लंबा सफर तय करने वाली जयललिता जयराम ने अपने चार दशक के लंबे राजनीतिक करियर में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं। बखूबी निभाई पारिवारिक जिम्मेदारी पिता की मौत के बाद पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए पढ़ाई में अव्वल रहने के बावजूद जयललिता ने 15 साल की उम्र में अपन

    चेन्नई। एक शर्मीली सिने तारिका से तीन बार मुख्यमंत्री चुने जाने तक का लंबा सफर तय करने वाली जयललिता जयराम ने अपने चार दशक के लंबे राजनीतिक करियर में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं।

    बखूबी निभाई पारिवारिक जिम्मेदारी

    पिता की मौत के बाद पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए पढ़ाई में अव्वल रहने के बावजूद जयललिता ने 15 साल की उम्र में अपना फिल्मी करियर शुरू कर दिया। वेन्नीरादई उनकी पहली फिल्म थी। जयललिता 28 फिल्मों में अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) की नायिका बनी। दोनों की जोड़ी ने सिनेमा से आगे निकल कर राजनीति में भी रंग जमाया।

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    राजनीतिक जीवन

    एमजीआर की विरासत को अपने बलबूते हासिल करने वाली जयललिता का राजनीतिक जीवन तमाम विरोधों और आरोप-प्रत्यारोपों के दौर से गुजरते हुए आज इस मुकाम पर पहुंचा है। द्रमुक में शामिल होने के एक साल बाद 1983 में पार्टी के प्रचार अभियान का सचिव बना दिया गया। इसके बाद जयललिता को द्रमुक की ओर से राज्यसभा के लिए नामिक किया गया।

    हालांकि कुछ ही समय बाद दोनों के बीच मतभेदों की खबर आने लगी लेकिन वर्ष 1984 एमजीआर के बीमार पड़ जाने और अमेरिका में इलाज के लिए जाने पर जयललिता ने ही पार्टी के चुनाव अभियान की कमान संभाली थी।

    एमजीआर की पत्नी से छीनी राजनीतिक विरासत

    वर्ष 1987 में द्रमुक संस्थापक के निधन के बाद एमजीआर की पत्नी जानकी के समर्थकों ने जयललिता का जमकर विरोध किया लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और राजनीतिक विरासत छीन कर हासिल की। इससे पार्टी का विभाजन हो गया।

    पार्टी महासचिव होने के नाते वह वर्ष 1989 में तमिलनाडु के निर्वाचन क्षेत्र बोदिनायकनूर से राज्य विधानसभा चुनावों के लिए खड़ी हुईं। चुनाव में जीतने के बाद वह राज्य विधानसभा की पहली नेता विपक्ष बनी।

    राजीव हत्या की सहानुभूति को भुनाया

    वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति को उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन करके भुनाया। जयललिता ने चुनावों में भारी अंतर के साथ जीत दर्ज की और राज्य की मुख्यमंत्री बनाई गई। तमिलनाडु की अब तक की सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का खिताब जयललिता के नाम है।

    पढ़ें: आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को 4 वर्ष की सजा