जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से तबाही, 170 की मौत
मानसूनी बारिश ने जम्मू-कश्मीर की दशा को बिगाड़ दिया है। शहरी इलाकों के अलावा ढाई हजार से ज्यादा गांव प्रभावित हैं, जिनमें से करीब साढ़े चार सौ गांव जलमग्न हो गए हैं। लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं और कुल मृतक संख्या बढ़कर 170 के आंकड़े को पार कर गई है। इसमें शनिवार को मिले 40 शव शामिल हैं। दक्षिण कश्मीर के इलाकों से अभी भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। सीमांत प्रदेश के लिए बीते 60 साल में इसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली बाढ़ माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालात का जायजा लेने रविवार को दिल्ली से जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाएंगे।
जागरण न्यूज नेटवर्क, श्रीनगर। मानसूनी बारिश ने जम्मू-कश्मीर की दशा को बिगाड़ दिया है। शहरी इलाकों के अलावा ढाई हजार से ज्यादा गांव प्रभावित हैं, जिनमें से करीब साढ़े चार सौ गांव जलमग्न हो गए हैं। लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं और कुल मृतक संख्या बढ़कर 170 के आंकड़े को पार कर गई है। इसमें शनिवार को मिले 40 शव शामिल हैं। दक्षिण कश्मीर के इलाकों से अभी भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। सीमांत प्रदेश के लिए बीते 60 साल में इसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली बाढ़ माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालात का जायजा लेने रविवार को दिल्ली से जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाएंगे। इससे पहले जम्मू-कश्मीर का दौरा करके दिल्ली लौटे गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उन्होंने हालात की समीक्षा की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस अपूर्व बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है।
लगातार पांचवें दिन जारी वर्षा के चलते जम्मू-कश्मीर की सभी नदियां उफन पड़ी हैं। उनका पानी किनारे के गांवों-कस्बों में भर ही गया है, ऊंचाई वाले इलाकों में भूस्खलन के चलते बुरा हाल है। इन इलाकों में ऊपर से बहकर आ रहे पानी ने हालत और खराब कर दी है। हजारों मकान ध्वस्त हो गए हैं। सैकड़ों की संख्या में पुल-पुलिया और सड़कें नष्ट हो गई हैं या उन्हें गंभीर नुकसान हुआ है। तीन सौ किलोमीटर लंबा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन और जलभराव के चलते तीन दिन से रुका हुआ है। हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।
जम्मू इलाके में नौ हजार लोगों को अभी तक प्रभावित इलाकों से निकाला गया है। वहां पर सेना और वायुसेना के करीब दस हजार जवान राहत व बचाव कार्य में लगे हैं। राहत के उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। तमाम इलाके राहत और बचाव कार्यो से पूरी तरह छूटे हुए हैं। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, अनंतनाग और कुलगाम जिलों का ज्यादातर भाग डूब गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वहां रविवार से लोगों को हेलीकॉप्टरों की मदद से निकालने का कार्य शुरू किया जाएगा।
अग्रिम चौकियों से बचाए गए जवान:
सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात सेना व सीमा सुरक्षा बल के जवानों को बचाने का अभियान जारी है। शनिवार को देश की रक्षा में लगे सेना के ऐसे 12 जवानों और बीएसएफ के 14 जवानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
सेना की नाव डूबी, नौ जवान बचे:
झेलम नदी के किनारे बसे पुलवामा जिले के लोगों की मदद के लिए सेना की नौका सवार टुकड़ी बाल-बाल बच गई। बचाव कार्य के दौरान नौका झेलम के बहाव में असंतुलित होकर डूब गई। तत्काल मिली सूचना के आधार पर दो हेलीकॉप्टरों की मदद से एक अधिकारी सहित सेना के इन नौ जवानों को बचाया जा सका।
एनडीआरएफ ने बस से निकाले शव:
जम्मू-कश्मीर में तैनात राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की आठ टीमें बाढ़ग्रस्त दुर्गम पहाड़ी इलाकों में पहुंचकर लोगों को निकालने में जुटी हैं। एनडीआरएफ दस्तों ने गुरुवार को नौशेरा में गंभीर नदी में गिरी बस से शनिवार को छह और शवों को निकाला। बारात ले जा रही इस बस के 33 यात्रियों के शव अभी तक बरामद हो पाए हैं। बल ने शनिवार को पोनिचक, जम्मू में भी बचाव अभियान संचालित किया।
मां वैष्णो देवी की यात्रा रुकी:
बाढ़ के हालात में मां वैष्णो देवी की यात्रा को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है। पिछले दो दिनों से किसी श्रद्धालु को आगे नहीं बढ़ने दिया गया है।
कटड़ा, ऊधमपुर नहीं गई कोई ट्रेन:
चार दिनों से हो रही मूसलधार बारिश का असर ट्रेनों की आवाजाही पर भी पड़ा है। श्री शक्तिएक्सप्रेस को रामनगर स्टेशन पर ही रोक दिया गया। इसके बाद ऊधमपुर और कटड़ा कोई भी ट्रेन नहीं जा सकी। इससे यात्रियों को दरबदर होना पड़ा। बारिश के कारण ऊधमपुर और कटड़ा ट्रैक पर कई जगह पानी भर गया और भूस्खलन हो गया था।
इस कारण कटड़ा जाने वाली श्री शक्तिएक्सप्रेस को रात को चार बजे रामनगर स्टेशन पर ही रोक दिया गया। इस कारण ऊधमपुर जाने वाली डीएमयू सहित कोई भी ट्रेन नहीं जा सकी। इसी तरह मालवा एक्सप्रेस भी ऊधमपुर से नहीं आ पाई। इससे जम्मू स्टेशन पर सैकड़ों यात्रियों को परेशान होते देखा गया।
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