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    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दी कैग को नसीहत

    By Sachin kEdited By:
    Updated: Thu, 30 Oct 2014 05:42 AM (IST)

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैग को नसीहत देते हुए कहा है कि ऑडिट रिपोर्ट में सनसनी या सुर्खियां बनाने पर जोर न दिया जाए।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को नसीहत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ऑडिट रिपोर्ट में सनसनी या सुर्खियां बनाने पर जोर न दिया जाए। ऑडिटर (लेखाकार) को सक्रिय होना चाहिए, लेकिन उसे यह अहसास भी होना चाहिए कि सक्रियता और संयम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

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    कैग द्वारा आयोजित 27वें महालेखाकार सम्मेलन के समापन सत्र में जेटली ने कहा कि लेखाकार को इस बात का अहसास होना चाहिए कि वह एक ऐसे फैसले की समीक्षा कर रहा है जो पहले ही लिया जा चुका है। क्या उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है? उसे सनसनीखेज होने की जरूरत नहीं है। उसे सुर्खियां बनने की जरूरत भी नहीं है। लेखाकार को निर्णय लेने की प्रक्रिया की पूरी तरह जांच करनी चाहिए। उसे किसी भी रूप में व्याप्त भाई-भतीजेवाद की संभावना को खत्म करना चाहिए।

    वित्त मंत्री ने कहा कि लेखाकारों को गलत फैसले और भ्रष्टाचार के इरादे से किए गए फैसले में भेद करना चाहिए। अगर उसे लगता है कि फैसला भ्रष्टाचार के इरादे से किया गया है तो उस पर टिप्पणी करने का मानक भिन्न होगा

    2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इनकी वजह से देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि इसके चलते ठेके रद करने पड़े। बिजली क्षेत्र आज भी इस समस्या को झेल रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सुशासन के जरिये विकास दर आठ से नौ प्रतिशत हासिल की जा सकती है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में विकास दर में गिरावट आई है। सुशासन के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता जरूरी है।

    सोमवार को इसी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष केवी थॉमस ने भी कहा था कि लेखाकारों को सिर्फ वित्तीय अनियमितता तक सीमित रहना चाहिए और उसे सांकेतिक नुकसान के संबंध में बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़े पेश नहीं करने चाहिए।