तीसरे मोर्चे को बाहर से समर्थन के पक्ष में नहीं हैं जयराम रमेश
आम चुनावों में अपनी संभावित हार के मद्देनजर कांग्रेस ने तीसरे मोर्चे के समर्थन का राग तेजी से अलापना शुरू कर दिया है। अब इसके पक्ष में राहुल गांधी के नजदीकी केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने बयानबाजी की है। लेकिन वे चाहते हैं कि इसबार कांग्रेस तीसरे मोर्चे की सरकार को बाहर से समर्थन न दे बल्कि उसमें शामिल होकर उस
हैदराबाद। आम चुनावों में अपनी संभावित हार के मद्देनजर कांग्रेस ने तीसरे मोर्चे के समर्थन का राग तेजी से अलापना शुरू कर दिया है। अब इसके पक्ष में राहुल गांधी के नजदीकी केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने बयानबाजी की है। लेकिन वे चाहते हैं कि इसबार कांग्रेस तीसरे मोर्चे की सरकार को बाहर से समर्थन न दे बल्कि उसमें शामिल होकर उसका हिस्सा बने।
जब उनसे पूछा गया कि अगर संप्रग और राजग में से किसी को भी बहुमत नहीं मिलता है तो क्या कांग्रेस तीसरे मोर्चे का समर्थन करेगी। पहले तो रमेश ने इस सवाल को काल्पनिक कह कर टालना चाहा। ज्यादा जोर देने पर उन्होंने कहा, 'कांग्रेस हर उस राजनीतिक गठबंधन का समर्थन करने के लिए कृतसंकल्प है जिसका धर्म निरपेक्ष मूल्यों में भरोसा है और वह किसी भी रूप में भाजपा से संबद्ध न हो।' केंद्रीय मंत्री के अनुसार, '1996 में (संयुक्त मोर्चा सरकार को बाहर से समर्थन दिया था) हमने ऐसा ही किया था। लेकिन इस बार बाहर से कोई समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए।' बकौल रमेश, 'मेरा मानना है कि अगर आप किसी सरकार को समर्थन देते हैं तो उसमें शामिल होकर समर्थन दीजिए। राजनीतिक स्थिरता के लिए जरूरी है कि सभी घटक दल सरकार में शामिल हों।' उन्होंने कहा कि यह उनका निजी विचार है। अपनी बात की मजबूती के लिए रमेश ने संप्रग-1 सरकार का हवाला दिया। उनका कहना था, 'सीपीएम, सीपीआइ ने संप्रग-1 सरकार को बाहर से समर्थन दिया था, लेकिन उनके चलते हमेशा हमारी जिंदगी मुश्किल भरी रही।' रमेश ने माना कि हवा कांग्रेस के प्रतिकूल है। लेकिन पार्टी के सौ सीट पाने वाले सर्वेक्षणों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 2004 और 2009 में भी हमें कम करके आंका गया था, लेकिन हम विजयी रहे। जयराम रमेश ने दावा किया कि इस बार भी सरकार गठन में कांग्रेस महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
ध्यान रहे कांग्रेस की ओर से रक्षा मंत्री एके एंटनी ने समान विचारधारा के दलों से समर्थन लेने या देने की बात सबसे पहले शुरू की थी। इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पिछले हफ्ते कहा कि तीसरे मोर्चे का समर्थन लेकर कांग्रेस केंद्र में फिर सरकार बनाएगी। इसके बाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने शनिवार को कहा कि अगली सरकार बनाने के लिए कांग्रेस तीसरे मोर्चे से समर्थन लेने या देने पर विचार कर सकती है।
सोनिया ने टीआरएस को मौका परस्त बताया
हैदराबाद। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पर सीधा हमला बोलते हुए तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर उस पर मौका परस्त राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि टीआरएस ने पहले सांप्रदायिक ताकतों से हाथ मिलाया था और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह फिर से ऐसा नहीं करेगी। वह आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले के चेवेल्ला में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रही थीं। यहां वह हेलीकॉप्टर से पहुंची थीं लेकिन हेलकॉप्टर में खराबी आने के बाद उन्हें मेढक जिले में जनसभा को संबोधित करने कार से रवाना होना पड़ा।
चुनाव प्रचार समाप्ति से एक दिन पूर्व यहां जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव दावा किया करते थे कि कांग्रेस तेलंगाना राज्य कभी नहीं देगी लेकिन अब इसके हकीकत में तब्दील हो जाने के बाद इसका श्रेय लूट रहे हैं। तेलंगाना में 30 अप्रैल को चुनाव होना है। सोनिया ने कहा कि हम लोग टीआरएस का अवसरवादी चेहरा पहली बार देख रहे हैं। वह भी उसी बीमारी से ग्रस्त है जिससे भाजपा है। ऐसी ताकतों के हाथों तेलंगाना का भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा। यही कारण है कि तेलंगाना की पहली सरकार बनाने के बारे में आपको सोच विचार करके अपना निर्णय लेना है। उन्होंने टीआरएस पर धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
जेटली ने खारिज किया तीसरे मोर्चे का विकल्प
लोकसभा चुनाव के बाद तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की संभावना को खारिज करते हुए भाजपा नेता अरुण जेटली ने इसके सांसदों को 'अस्थायित्व का सौदागर' करार दिया। एक अन्य भाजपा नेता वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस चुनाव जीतने का विश्वास खो चुकी है।
दरअसल, कांग्रेसी नेताओं ने चुनाव बाद तीसरे मोर्चे को समर्थन देने पर विचार करने की बात कही थी। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा, 'जो लोग कांग्रेस के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने पर विचार कर रहे हैं वे सिर्फ उस सिद्धांत को फिर से जीवित करने की कोशिश में हैं जो पूर्व में कई बार असफल हो चुका है। इस तरह के गैर-वैचारिक गठजोड़ विशुद्ध रूप से सुविधा के लिहाज से किए जाते हैं जो कभी बेहतर प्रशासन नहीं दे सकते।'
भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा में कहा कि कांग्रेस चुनाव जीतने का विश्वास खो चुकी है। नायडू ने कहा, सलमान खुर्शीद और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सार्वजनिक तौर पर चुनाव नतीजों को लेकर आशंका जाहिर की है। अब तो कांग्रेस नेता तीसरे मोर्चे को समर्थन देने की भी बात करने लगे हैं। उनके मुताबिक, चूंकि कांग्रेस नेता चुनाव जीतने का विश्वास खो चुके हैं, इसलिए वे व्यक्तिगत हमले पर उतर आए हैं।
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