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    कैलाश मानसरोवर यात्रा रोककर कहीं चीन की ये मंशा तो नहीं

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 29 Jun 2017 12:33 PM (IST)

    भारत के प्रति चीन के ताज़ा रूख को देखते हुए यह सवाल उठता है कि वह क्या चाहता है?

    कैलाश मानसरोवर यात्रा रोककर कहीं चीन की ये मंशा तो नहीं

    नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर अपनी आपत्ति जाहिर करते हुए उस पर रोक लगा दी। हालांकि, उसका बहाना उसने बारिश और मौसम खराब होना बताया लेकिन बाद में उसने अपनी मंशा साफ करते हुए उल्टा भारत के ऊपर सीमा क्षेत्र के उल्लंघन का आरोप लगाया और सिक्किम में घुसकर सैनिकों के दो बंकर तोड़ डाले। ऐसे में चीन के ताज़ा रूख को देखते हुए यह सवाल उठता है कि वह क्या चाहता है?

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    चीन के साथ फौरन हो वार्ता
    राजनीतिक जानकार चीन के ताज़ा रवैये को कई तरह से देख रहे हैं। इस तरह के रूख को लेकर चीन पर बेहद बारीकी से नज़र रखने वाले लोग भी बेहद आशंकित दिख रहे है और उनका मानना है कि जल्द अगर उसके साथ बातचीत कर पूरे मामले को नहीं सुलझाया गया तो स्थिति काफी बिगड़ सकती है। इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज की प्रोफेसर अल्का आचार्य ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया कि पहली बार चीन ने नाथुला दर्रा से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा रोकी है। अल्का का कहना है कि आज स्थिति चीन के साथ बेहद नाजुक दौर में पहुंच चुकी है। चीन ने भारत के खिलाफ सख्त रूख अख्तियार कर लिया है। ऐसे में इस बात की जरूरत है कि भारत जल्द से जल्द पहल कर चीन के साथ बातचीत करें।


    क्यों ऐसी हरकतें कर रहा है चीन
    यह एक बड़ा ही स्वाभाविक सवाल है कि आखिर चीन इतना क्यों बौखला गया है, जिसके चलते वह भारत के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई करने में खुलेआम उतारू हो चुका है? अल्का आचार्य मानती हैं कि चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट OBOR का भारत की तरफ से विरोध, चीन के रणनीतिक साझेदार पाकिस्तान के साथ भारत का बिगड़ता संबंध और उसके बाद मोदी के हाल के दौरे के बाद ट्रंप और मोदी का संयुक्त बयान। ये कुछ ऐसी बातें है जिसके चलते आज चीन में जबरदस्त गुस्सा है और वह बौखला कर भारत के खिलाफ ऐसे कदम उठाने को मजबूर है।

    दोनों तरफ है बौखलाहट
    जानकारों की मानें तो जैसी बौखलाहट भारत के प्रति चीन में है ठीक वैसा ही गुस्सा आज वहां के प्रति भारत में भी देखी जा रही है। उसकी वजह है लगातार एनएसजी में सदस्यता को लेकर भारत के दावे का चीन के द्वारा विरोध कर भारत की मंशा पर पानी फेरना। इसके अलावा, मसूद अजहर को यूएन की काली सूची में डालने में चीन का रोड़ा बनकर खड़ा रहना। ऐसे में जो तल्खी दोनों ओर से बढ़ रही है वह कही विकराल रूप ना ले लें इसके लिए अल्का आचार्य मानती हैं कि जल्द ही दोनों देशों के बीच सचिव या संयुक्त सचिव स्तरीय वार्ता होनी चाहिए। तभी दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो पाएंगे। लेकिन, अगर इस समस्यू को यूं ही छोड़ दिया जाता है तो ये कहीं नासूर ना बन जाए। 

    ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत को धमकी 

    सवाल यह उठता है कि चीन इस तरह से करते अपनी क्या मंशा जाहिर करना चाहता है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है मोदी-ट्रंप के गर्मजोशी भरे मुलाकात पर टिप्पणी करते हुए लिखा है भारत की कोशिश अमेरिका के सहारे चीन के बराबर खड़ा होने की है जो कभी पूरी नहीं होगी। इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स ने गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भारत को दे डाली। इसका मतलब साफ है कि चीन नहीं चाहता है भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ हो और वह अमेरिका के साथ चीन विरोधी किसी भी कार्रवाई में हिस्सा बने।  ऐसे में चीन की पूरी कोशिश भारत पर दबाव बनाने की है।

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