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    पिछले 6 महीनों से राम मंदिर निर्माण में अकेले क्यों जुटे हैं रजनीकांत?

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Fri, 02 Jun 2017 05:02 PM (IST)

    राम मंदिर का मामला भले ही अभी भी न्यायालय में लंबित हो। लेकिन एक शख्स शिद्दत से पत्थरों को तराशने में जुटा हुआ है।

    पिछले 6 महीनों से राम मंदिर निर्माण में अकेले क्यों जुटे हैं रजनीकांत?

    नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का मामला अभी भी न्यायालय में लंबित है। लेकिन राम मंदिर से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि एक न एक दिन रामलला को स्थाई जगह मिल जाएगी। कारसेवकपुरम से महज 100 मीटर दूर कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम जारी है। कार्यशाला के ज्यादातर कारीगर काम छोड़कर जा चुके हैं। लेकिन एक शख्स पिछले 6 महीने से लगातार राम मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने में जुटा हुआ है। 

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     27 वर्ष से अनवरत तैयारी

    राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने के काम में 1990 में करीब 150 दस्तकार जुटे हुए थे। पिछले 27 सालों से पत्थरों का तराशने का काम जारी है। लेकिन कार्यशाला में अब सिर्फ एक कारीगर काम कर रहा है। पिछले 6 महीने से 53 वर्ष का रजनीकांत शख्स लगातार पत्थर तराशने का काम कर रहा है। जबकि दूसरे कारीगर बेहतर काम की तलाश में कार्यशाला को छोड़ चुके हैं। करीब एक वर्ष पहले एक दर्जन से कारीगर रामजन्म भूमि न्यास की तीन एकड़ में फैले कार्यशाला में काम कर रहे थे।

     

    अपने धुन में रमे रजनीकांत

    छले बुधवार को जब यूपी के सीएम योगा आदित्यनाथ अयोध्या के दौरे पर थे उस वक्त कारसेवकपुरम से महज 100 मीटर दूर कार्यशाला में रजनीकांत पत्थर तराशने में जुटा हुआ था। 27 वर्ष पहले जब कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम शुरू हुआ उस वक्त गुजरात, राजस्थान और यूपी के मिर्जापुर से करीब 125 कारीगर काम में जुटे हुए थे। रजनीकांत बताते हैं कि उस समय उत्साह अपने चरम पर था। लेकिन राम मंदिर के बनने की धूमिल होती संभावनाओं और बेहतर नौकरी की तलाश में ज्यादातर कारीगर कार्यशाला को अलविदा कह गये।रजनीकांत का कहना है कि ये बात सच है कि अभी वो अकेले काम कर रहा है। लेकिन एक बार राम मंदिर को बनाने की हरी झंडी मिलने के बाद बहुत तेजी से काम तेज हो जाएगा। सोमपूरा और रजनीकांत का कहना है कि उन दोनों को अभी 12 हजार रुपये मेहनताना के तौर पर मिल रहे हैं। जबकि उसने 1992 में तीन हजार रुपये पर नौकरी शुरू की थी।

    दो वर्ष पहले अयोध्या आए रजनीकांत

    रजनीकांत दो वर्ष पहले अयोध्या काम करने के लिए आया था। उसका कहना है कि उसे फिक्स वेतन मिलता है जो उसके और उसके परिवार के लिए पर्याप्त है। रजनीकांत और उसका परिवार कार्यशाला परिसर में ही रहता है।2015 में जब अयोध्या में 35 टन गुलाबी पत्थरों को लाया गया उस वक्त विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा दोबार राम मंदिर के मुद्दे को गरमाने में लगी हुई है। इसके अलावा वो 2017 में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक इस्तेमाल करेगी। लेकिन 18 महीनों के गुजरने के बाद भी पत्थर कार्यशाला से करीब 100 मीटर दूर खुले में एक खेत में हैं। भरतपुर से लाए गए पत्थर खुले में होने की वजह से काले भी पड़ चुके हैं। इसके अलावा जो पत्थर मंदिर की दीवाल और छत के लिए तराशे जा चुके हैं। लेकिन उनका भी ढेर लगा हुआ है।

    विश्व हिंदू परिषद के नेताओं का कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए 1.75 लाख क्यूबिक फीट स्टोन की जरूरत है। 1990 में करीब में एक लाख क्यूबिक फीट पत्थर की खरीद हुई थी। करीब 30 हजार पत्थरों को तराशा जाना अभी भी बाकी है। योजना के मुताबिक 268 फुट लंबे 140 फुट चौड़े और 128 फुट ऊंचे भव्य राम मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है जिसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, गर्भ गृह और सिंह द्वार मंदिर के हिस्सा हैं।

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