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    ऊंचाहार एनटीपीसी हादसे ने दिलायी चर्नोबिल दुर्घटना की याद

    By Digpal SinghEdited By:
    Updated: Thu, 02 Nov 2017 11:43 AM (IST)

    ऊंचाहार एनटीपीसी की इस दुर्घटना ने एक बार फिर इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट की तरफ ध्यान खींचा है। भारत और दुनिया में यह पहला मौका नहीं है, आइए जानें ऐसे ही अन्य हादसों के बारे में...

    ऊंचाहार एनटीपीसी हादसे ने दिलायी चर्नोबिल दुर्घटना की याद

    नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। उत्तर प्रदेश में रायबरेली के ऊंचाहार एनटीपीसी इकाई में बॉयलर फटने से भड़की भीषण आग में 26 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। दुर्घटना में घायलों की संख्या भी 200 से ज्यादा है। शुरुआत में मृतकों की असली संख्या का पता नहीं चल पा रहा था, क्योंकि शुरुआत में राहत बचाव कार्य में सिर्फ उन लोगों को निकाला गया, जिनकी सांसें चल रही थीं। इसलिए जिन लोगों की दम घुटने से मौत हो चुकी थी, उन्हें बाद में निकाला गया।

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    ऊंचाहार एनटीपीसी की इस दुर्घटना ने एक बार फिर इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट की तरफ ध्यान खींचा है। भारत और दुनिया में यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह का हादसा हुआ हो। भोपाल गैस कांड से लेकर फुकुशिमा और चर्नोबिल तक ऐसे कई इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट हो चुके हैं। देश-दुनिया के कुछ बड़े इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट के बारे में भी चर्चा करेंगे। पहले समझते हैं असल में ऊंचाहार में हुआ क्या?

     

    यह भी पढ़ें:  एनटीपीसी ऊंचाहार में बॉयलर फटने से 200 से ज्यादा झुलसे, 26 के मरने की आशंका


    ऊंचाहार एनटीपीसी में क्या हुआ

    ऊंचाहार एनटीपीसी की छठी यूनिट में एक बॉयलर फटने से यह दुर्घटना हुई। बता दें कि इस यूनिट की क्षमता 500 मेगावाट की है। इस हादसे में 200 से ज्यादा लोगों के झुलस गए। घायलों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए तुरंत वहां 50 एंबुलेंस को तैनात किया गया था। जिले के तमाम अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया और डॉक्टरों को आपात सेवा में बुला लिया गया। इसके अलावा राज्य की राजधानी लखनऊ में भी 50 बेड रिजर्व किए गए थे। इस हादसे में एनटीपीसी के एजीएम रैंक के तीन अधिकारी भी घायल हैं। एजीएम प्रभात कुमार, एजीएम मिश्रीलाल और एजीएम संजीव सक्सेना को भी लखनऊ रेफर किया गया।

     

     

    क्या होता है बॉयलर और कैसे काम करता है

    बॉयलर असल में एक ऐसा यंत्र है जिसमें भाप बनती है। यहां हीट एनर्जी से इलेक्ट्रिक एनर्जी बनाई जाती है। ज्यादातर जगहों पर बिजली पैदा करने के लिए जो टर्बाइन घूमती है वह स्टीम यानी भाप से ही घूमती है। यहां पानी गर्म होकर भाप बनता है और उससे स्टीम टर्बाइन घूमती है और इस क्रिया से एक इलेक्ट्रिक जेनरेटर चल पड़ता है। बता दें कि फिरोज गांधी ऊंचाहार थर्मल पावर प्लांट का अधिग्रहण एनटीपीसी ने 1992 में किया था। 1994 तक एनटीपीसी ने यहां 15000 मेगावाट की क्षमता विकसित कर ली थी।

     

    यह भी पढ़ें: NTPC Explosion- रायबरेली जिला अस्पताल पहुंचे राहुल, घायलों से की मुलाकात

     

    बॉयलर क्या होता है और यह कैसे काम करता है यह तो आप समझ ही गए हैं। चलिए अब जानते हैं कुछ बड़े औद्योगिक हादसों (इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट्स) के बारे में।

     

    भोपाल गैस त्रासदी

     

    जब भी औद्योगिक हादसों की बात होती है तो भारत में हमेशा भोपाल गैस त्रासदी का नाम सबसे ऊपर होता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए इस इंटस्ट्रियल एक्सीडेंट को दुनिया का सबसे खतरनाक हादसा भी कहा जा सकता है। 2-3 दिसंबर 1984 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड पेस्टीसाइड प्लांट में गैस लीक होने से 3700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि गैर आधिकारिक आंकड़ा 16000 से अधिक है। यही नहीं इस हादसे में 5 लाख से ज्यादा लोगों को मिथाइल आसोसाइनेट गैस व अन्य कैमिकल के संपर्क में आ गए थे।

     

    चर्नोबिल की दुर्घटना

     

     

    26 अप्रैल 1986 को चर्नोबिल की यह दुर्घटना हुई थी। तत्कालीन सोवियत रूस के यूक्रेनियन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक में यह दुर्घटना घटी थी। इस हादसे में 31 लोगों की मौत हुई थी। यह घटना देर रात सेफ्टी टेस्ट के दौरान घटी। टेस्ट के दौरान स्टेशन में दर्शाया जा रहा था कि स्टेशन में पावर फेलियर होने से ब्लैकआउट हो गया है। यही नहीं सेफ्टी सिस्टम को भी जानबूझकर बंद कर दिया गया था। रिक्टर के डिजाइन की खामियों और कुछ अन्य वजहों से यह सेफ्टी चैक जल्द ही ऐसी स्थित में बदल गया, जिस पर नियंत्रण पाना नामुमकिन हो गया। बॉयलर में पानी था और ज्यादा स्टीम की वजह से वहां जोरदार धमाका हुआ और वहां आग लग गई। इस दुर्घटना में रेडियोएक्टिव मैटेरियल पूरे पश्चिमी यूएसएसआर और यूरोप में फैल गया था। चर्नोबिल की यह दुर्घटना न्यूक्लियर पावर प्लांट हादसों में सबसे घातक थी।


    फुकुशिमा डाइची न्यूक्लियर हादसा

     

     

    11 मार्च 2011 को जापान में आई सुनामी और जबरदस्त भूकंप के बाद फुकुशिमा डाइची न्यूक्लियर प्लांट में यह हादसा हुआ। दरअसल भूकंप आते ही एक्टिव रिएक्टर अपने आप बंद हो गए। लेकिन सुनामी के कारण इमरजेंसी जेनरेटर बंद हो गए और यही जेनरेटर रिएक्टर को ठंडा करने के लिए पंप को विद्युत की सप्लाई करते थे। कूलिंग कम होने से तीन न्यूलियर प्लांट पिघल गए। इससे हाइड्रोजन ब्लास्ट हुआ और रेडियोएक्टिव मैटेरियल हवा में तैरने लगे। हालांकि इस हादसे में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इस हादसे ने दुनियाभर में डर का माहौल पैदा कर दिया था। 37 लोगों को मामूली चोटें आई थीं।

     

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